
- देश के विभिन्न राज्यों के विश्वविद्यालयों से विभिन्न विषयों के 200 से अधिक विद्वान- शोधार्थी करेंगे शिरकत
- हम शहीदों के विचारों एवं योगदान को समझ सकते है: प्रोफेसर वीना सिंह
मिर्जापुर। जी डी बिनानी पी जी कॉलेज मिर्जापुर के इतिहास विभाग में भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद,नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित ”शहादत एवं विरासत: भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में क्रांतिकारी आंदोलन की भूमिका” विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन 11 – 12 अप्रैल 2025 को किया जा रहा है।
इस अवसर पर भारत के विभिन्न विश्वविद्यालय जैसे काशी हिन्दू विश्वविद्यालय-वाराणसी, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली, दिल्ली विश्वविद्यालय- नई दिल्ली, इलाहाबाद विश्वविद्यालय- प्रयागराज, भीमराव अम्बेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय- लखनऊ, दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय-गया, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी, मध्य प्रदेश, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय-जौनपुर, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय -आरा, जय प्रकाश विश्वविद्यालय-छपरा सहित अनेक राज्यों के विश्वविद्यालय से विभिन्न विषयों के लगभग 200 से अधिक विद्वान और शोधार्थी शिरकत करेंगे।
राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि प्रो शोभा गौड़, कुलपति मां विंध्यवासिनी विश्वविद्यालय मिर्जापुर, सम्मानित अतिथि प्रोफेसर अजय प्रताप इतिहास विभाग काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी, मुख्य वक्ता प्रोफेसर सौम्य सेन गुप्ता, डी ए वी पी जी कॉलेज आजमगढ़, विशेष आमंत्रित डा विनोद कुमार, उप निदेशक भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद ने दिल्ली एवं समापन सत्र के मुख्य अतिथि प्रोफेसर शिशिर कुमार पांडे शर्मा, कुलपति जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय चित्रकूट एवं सम्मानित अतिथि प्रो अनुराधा सिंह, इतिहास विभाग काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी एवं विशिष्ट अतिथि प्रो अशोक सिंह, प्राचार्य के बी पी जी कॉलेज रहेंगे।
महाविद्यालय की संरक्षिका/प्राचार्य प्रोफेसर वीना सिंह ने राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन के प्रति हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि इसके माध्यम से हम शहीदों के विचारों एवं योगदान को समझ सकते है, जिससे विद्यार्थी, शोधार्थी और जन समान्य लोग लाभान्वित होंगे।
राष्ट्रीय संगोष्ठी के संयोजक डॉ ऋषभ कुमार ने कहा कि क्रांतिकारी आंदोलन भारत के स्वतंत्रता संग्राम का वह ज्वलंत अध्याय है, जिसमें युवा क्रांतिकारियों ने अपने प्राणों की आहुति देकर अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिला दी। भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, सुखदेव, राजगुरु, अशफाक उल्ला खाँ जैसे वीरों की शहादत ने देश के कोने-कोने में आज़ादी की लहर पैदा की।
उनका बलिदान केवल एक आंदोलन नहीं था, बल्कि एक ऐसी विरासत है, जो आज भी हमें साहस, देशभक्ति और कर्तव्यनिष्ठा का मार्ग दिखाती है। हमें यह समझना होगा कि आज़ादी केवल राजनीतिक बदलाव नहीं था, बल्कि वह आत्मगौरव, सामाजिक न्याय और जन-जागरण की एक क्रांति थी।
इस संगोष्ठी का उद्देश्य यही है कि हम अपने अतीत के उन उज्ज्वल पन्नों को फिर से पढ़ें, समझें और आने वाली पीढ़ियों को उस प्रेरणा से जोड़ें। आशा है कि इस कार्यक्रम से हम सभी को नयी दिशा, ऊर्जा और राष्ट्रप्रेम की भावना प्राप्त होगी। इस कार्यक्रम में कॉर्डिनेटर प्रो राजमोहन शर्मा और आयोजन सचिव प्रो सुशील कुमार त्रिपाठी एवं जयप्रकाश सिंह रहेंगे।