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Seema Pal
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ऐतिहासिक शिव का मंदिर है। जिसका नाम मनाकामेश्वर मंदिर है। मंदिर का नाम मनाकामेश्वर है, जिसका अर्थ है जो व्यक्ति की इच्छाओं को पूर्ण करता है। मनकामेश्वर मंदिर में शिवलिंग खंडित है। यहां खंडित शिवलिंग की ही भक्त पूजा करते हैं। मनकामेश्वर मंदिर का इतिहास और शिवलिंग के खंडित होने की घटना धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मानी जाती है।
मनकामेश्वर मंदिर की स्थापना से जुड़ी कथा
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मनाकामेश्वर मंदिर की स्थापना के पीछे एक प्रसिद्ध कथा है, जिसके अनुसार भगवान शिव की पूजा के लिए एक भक्त ने यहाँ शिवलिंग स्थापित किया था। कुछ मान्यताओं के अनुसार, यह मंदिर भगवान लक्ष्मण द्वारा स्थापित किया गया था। कथा के अनुसार, जब भगवान राम ने अपनी तपस्या के दौरान लखनऊ क्षेत्र में निवास किया, तो लक्ष्मण ने यहाँ एक शिवलिंग स्थापित किया था ताकि इस स्थान पर भगवान शिव की पूजा की जा सके। यही कारण है कि इस मंदिर को भगवान लक्ष्मण से भी जोड़ा जाता है। यहाँ यह विश्वास किया जाता है कि लक्ष्मण ने अपनी मनोकामनाओं को पूर्ण करने के लिए इस शिवलिंग की पूजा की थी।
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कुछ और कथाएँ यह भी कहती हैं कि पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान इस क्षेत्र में शिवलिंग स्थापित किया था। पांडवों के अज्ञातवास के समय, उन्होंने अपने धार्मिक कर्तव्यों को निभाने के लिए इस स्थान पर पूजा की थी और शिवलिंग की प्रतिष्ठा की थी। कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि पांडवों के समय से यह मंदिर जुड़ा हो सकता है, क्योंकि यह लखनऊ क्षेत्र में उनका आना-जाना रहा था।
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मुगल शासक ने शिवलिंग को तोड़ने की थी कोशिश
मनकामेश्वर मंदिर में स्थापित शिवलिंग के खंडित होने के पीछे धार्मिक उत्पीड़न की घटना कारण है। आक्रमणकारी या मुघल शासक ने मंदिर को तोड़ने की कोशिश की थी। धार्मिक आस्थाएँ कहती हैं कि शिवलिंग की खंडन प्रक्रिया स्वाभाविक नहीं थी, बल्कि यह धार्मिक उत्पीड़न के कारण हुआ था। मुघल काल के दौरान, हिंदू मंदिरों को नष्ट करने का प्रयास किया गया था, जिससे कई मंदिरों का विध्वंस हुआ और शिवलिंग की मूर्तियाँ भी खंडित हो गईं। बताया जाता है कि मुगल शासक ने शिवलिंग को तोड़ने के लिए काफी पसीना बहाया लेकिन शिवलिंग पर हजार प्रहार के बाद भी नही टूटी। हालांकि शिवलिंग खंडित हो गया। माना जाता है कि भगवान शिव स्वयं शिवलिंग की रक्षा कर रहे थे।
आज भी खंडित शिवलिंग के ही दर्शन करते हैं भक्त
बता दें कि मनकामेश्वर मंदिर में आज भी भक्त खंडित शिवलिंग के ही दर्शन करते हैं। शिवलिंग के ऊपर चांदी का छत्र चढ़ा हुआ है, जिससे शिवलिंग का वास्तविक रूप दिखाई नहीं देता है। शिवलिंग का खंडित हिस्सा छिपा हुआ है।