
जयपुर : राजस्थान की मंडियों में जारी चार दिन की हड़ताल अब समाप्त हो गई है। राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार महासंघ द्वारा कृषक कल्याण फीस में प्रस्तावित बढ़ोतरी के खिलाफ बुलाई गई यह हड़ताल सरकार के आश्वासन के बाद खत्म कर दी गई। अब प्रदेश की 247 मंडियों में व्यापार फिर से पटरी पर लौट आया है।
क्या था मामला?
राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार महासंघ के चेयरमैन बाबूलाल गुप्ता ने जानकारी दी कि संगठन की मांग थी कि कृषक कल्याण फीस अगले तीन वर्षों तक 0.50% ही रखी जाए।
सरकार द्वारा इसे बढ़ाने के संकेत दिए गए थे, जिससे असंतुष्ट होकर महासंघ ने 2 से 5 जुलाई तक प्रदेशव्यापी हड़ताल का ऐलान किया था।
हड़ताल का असर
- पहले दिन मंडियों में मिलाजुला असर रहा
- तेल मिल, दाल मिल, आटा मिल और मसाला उद्योग से जुड़े व्यापारी भी हड़ताल में शामिल हो गए
- 10,000 करोड़ रुपये तक का व्यापार प्रभावित हुआ
सरकार से बनी सहमति
बुधवार देर रात सरकार की ओर से आश्वासन मिला कि:
“कृषक कल्याण फीस में फ़िलहाल कोई बढ़ोतरी नहीं की जाएगी। मौजूदा दर पर ही शुल्क लिया जाएगा।”
इस आश्वासन के बाद हड़ताल वापस ले ली गई और गुरुवार सुबह से मंडियों में व्यापार फिर से सुचारु रूप से शुरू हो गया।
व्यापारियों की अन्य लंबित मांगें
बाबूलाल गुप्ता ने कहा कि भले ही इस बार कृषि कल्याण फीस पर सहमति बन गई हो, लेकिन व्यापारियों की कुछ अन्य प्रमुख मांगे अब भी लंबित हैं:
- राज्य के बाहर से आयातित कृषि जिंसों पर मंडी सेस व कृषक कल्याण फीस न लगाई जाए
- चीनी पर कृषक कल्याण फीस समाप्त की जाए
- मोटे अनाज पर आढ़त की दर 2.25% की जाए
“सरकार ने इन मुद्दों पर कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश अब तक जारी नहीं किए हैं। अगर मांगें पूरी नहीं हुईं, तो भविष्य में आंदोलन की राह फिर अपनाई जा सकती है।” — बाबूलाल गुप्ता
अब मंडियों में क्या स्थिति है?
- प्रदेश की सभी 247 मंडियों में व्यापारिक गतिविधियां सामान्य हो चुकी हैं
- किसान और व्यापारी दोनों ने राहत की सांस ली है
- राज्य के उपभोक्ताओं को रोज़मर्रा की आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति बहाल हो गई है