ममता बनर्जी ने नौकरी गंवाने वाले शिक्षकों से की मुलाकात, कहा- शिक्षा व्यवस्था को नष्ट करने की साजिश

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों से मुलाकात की जिन्होंने हाल ही में अपनी नौकरी गंवाई। इस दौरान उन्होंने कहा कि शिक्षा व्यवस्था को जानबूझकर नष्ट करने की साजिश की जा रही है। ममता ने आरोप लगाया कि उन्हें और उनके जैसे कई शिक्षकों को बेवजह अपमानित किया जा रहा है, जबकि वे स्वर्ण पदक विजेता हैं और उनके द्वारा किए गए कार्यों ने जीवन में बेहतरीन परिणाम दिए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यदि इस स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो वह चुप नहीं रहेंगी, चाहे उन्हें जेल जाना पड़े।

मुख्यमंत्री ने यह बयान कोलकाता के नेताजी इंडोर स्टेडियम में नौकरी खो चुके सैकड़ों शिक्षकों और कर्मचारियों से मुलाकात के दौरान दिया। सुप्रीम कोर्ट द्वारा कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस आदेश को बरकरार रखने के बाद, जिसमें एसएससी द्वारा 25,000 से अधिक शिक्षकों और कर्मचारियों की नियुक्ति रद्द कर दी गई थी, राज्य सरकार और विपक्षी पार्टियों के बीच विवाद बढ़ गया है।

इस फैसले से नाराज होकर विपक्षी नेता शुभेंदु अधिकारी और भाजपा विधायकों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग की है। शुभेंदु ने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी और उनके भतीजे ने इस मामले में भ्रष्टाचार किया है और उन्हें जेल भेजा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने 700 करोड़ रुपये की रिश्वत ली और इस घोटाले की मुख्य लाभार्थी हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा, जिसमें 2016 में पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) द्वारा 25,000 से अधिक शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती रद्द कर दी गई थी। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कहा कि चयन प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी और हेरफेर किया गया था, जिससे चयन की विश्वसनीयता और वैधता समाप्त हो गई। कोर्ट ने कहा कि अब इस प्रक्रिया में कोई सुधार की गुंजाइश नहीं बची है और यह पूरी तरह से दागदार हो चुकी है।

क्यों पहुंचा मामला सुप्रीम कोर्ट?

यह मामला पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा दायर एक याचिका के तहत सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था, जिसमें उन्होंने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने 2022 में राज्य द्वारा संचालित और सहायता प्राप्त स्कूलों में 25,000 से अधिक शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों की भर्ती को रद्द कर दिया था। 10 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा था।

इस फैसले के बाद ममता बनर्जी सरकार को विपक्षी दलों से जबरदस्त आलोचना का सामना करना पड़ रहा है, और इस मामले पर अब जांच और कानूनी प्रक्रिया को लेकर राजनीतिक चर्चाएं तेज हो गई हैं।

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