
Maleganv Blast Case : 29 सितंबर 2008 को हुए महाराष्ट्र के मालेगांव ब्लास्ट केस में 17 साल के लंबे इंतजार के बाद आज (गुरुवार) फैसला आने वाला है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत इस बहुचर्चित मामले में अपना फैसला सुनाएगी। अदालत ने अभियोजन और बचाव पक्ष की दलीलें पूरी होने के बाद 19 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
फैसले में देरी और आरोपियों की मौजूदगी
कोर्ट ने बताया कि अप्रैल में सुनवाई पूरी हो चुकी थी, लेकिन मामले में एक लाख से अधिक पन्नों के सबूत और दस्तावेज होने के कारण सभी रिकॉर्ड की जांच के लिए अतिरिक्त समय की आवश्यकता थी। सभी आरोपियों को फैसले के दिन कोर्ट में मौजूद रहने का आदेश दिया गया है, साथ ही यह भी चेतावनी दी गई है कि जो अनुपस्थित रहेगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
इस मामले में लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, पूर्व बीजेपी सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय सहित सात लोगों पर मुकदमा चल रहा है। इन सभी पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) और भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं। सभी आरोपी वर्तमान में जमानत पर रिहा हैं।
2008 में क्या हुआ था मालेगांव में?
29 सितंबर 2008 को रमजान के पवित्र महीने में और नवरात्रि से ठीक पहले महाराष्ट्र के मालेगांव में एक विस्फोट हुआ था। इस धमाके में छह लोगों की जान चली गई और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। एक दशक तक चले मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष ने 323 गवाहों से पूछताछ की, जिनमें से 34 अपने बयान से पलट गए।
शुरुआत में, इस मामले की जांच महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने की थी। हालांकि, 2011 में जांच एनआईए को सौंप दी गई। 2016 में एनआईए ने अपर्याप्त सबूतों का हवाला देते हुए प्रज्ञा सिंह ठाकुर और कई अन्य आरोपियों को बरी करते हुए एक आरोप पत्र दाखिल किया था। घटना के लगभग 17 साल बाद आ रहे इस फैसले का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है और इसके महत्वपूर्ण कानूनी और राजनीतिक परिणाम होने की संभावना है।
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