उप्र में होगी मखाना की खेती, उद्यान मंत्री ने योजना का किया शुभारंभ

  • 158 लाख रुपए की कार्ययोजना स्वीकृत, पूर्वांचल को मिलेगा विशेष लाभ
  • -यूपी में मखाना उत्पादन को प्रोत्साहन देने के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने की तैयारी

लखनऊ : मखाना विकास योजना उत्तर प्रदेश के किसानों को उच्च मूल्य वाली फसलों से जोड़कर उनकी आय में वृद्धि करने का महत्वपूर्ण माध्यम बनेगी। यह योजना उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने में मील का पत्थर साबित होगी। भारत सरकार द्वारा वर्ष 2025 में राष्ट्रीय मखाना बोर्ड के गठन के उपरान्त प्रथम चरण में 10 राज्यों में योजना लागू की गई है, जिसमें उत्तर प्रदेश भी शामिल है।

यह बात प्रदेश के उद्यान, कृषि विपणन, कृषि विदेश व्यापार एवं कृषि निर्यात राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दिनेश प्रताप सिंह ने प्रेसवार्ता कर कही। उन्होंने प्रदेश में मखाना विकास योजना के शुभारम्भ की घोषणा की। प्रदेश में इस योजना का क्रियान्वयन उद्यान विभाग, उत्तर प्रदेश द्वारा किया जाएगा।
उद्यान मंत्री ने बताया कि उद्यान विभाग द्वारा वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए तैयार की गई कार्ययोजना को भारत सरकार ने स्वीकृति प्रदान की है।

वित्तीय वर्ष में सीमित समय शेष होने के बावजूद केंद्र सरकार ने 158 लाख रुपए की धनराशि क्रियान्वयन हेतु स्वीकृत की है। इस धनराशि से मखाना की खेती हेतु तालाबों का चयन एवं निर्माण, किसानों के प्रशिक्षण कार्यक्रम, अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन, बायर-सेलर मीट, मखाना पवेलियन के माध्यम से प्रचार-प्रसार, निर्यातकों की अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी में भागीदारी तथा जनपद एवं राज्य स्तरीय सेमिनार जैसे कार्यक्रम संचालित किए जाएंगे। साथ ही “सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर मखाना” की स्थापना की दिशा में भी कार्य शुरू किया जाएगा।

मंत्री सिंह ने कहा कि मखाना अपने औषधीय गुणों और उच्च बाजार मूल्य के कारण सुपरफूड के रूप में लोकप्रिय है। अब तक इसकी खेती मुख्य रूप से बिहार में होती थी, परंतु उत्तर प्रदेश की जलवायु और जलभराव वाले क्षेत्र मखाना उत्पादन के लिए अत्यंत अनुकूल हैं। पूर्वांचल के जनपद कुशीनगर, सिद्धार्थनगर, गाजीपुर, बलिया, महाराजगंज, वाराणसी और बस्ती मखाना उत्पादन की दृष्टि से विशेष रूप से उपयुक्त माने जाते हैं। जहां सिंघाड़े की खेती संभव है, वहां मखाना उत्पादन भी अत्यंत सफल रहेगा। अगले वित्तीय वर्ष से विभाग मखाना की खेती के क्षेत्र का विस्तार, गुणवत्तायुक्त रोपण सामग्री का उत्पादन तथा प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन गतिविधियों को और व्यापक स्तर पर प्रारम्भ करेगा।

प्रेसवार्ता में मंत्री सिंह ने आलू निकासी पर प्रकाश डालते हुए कहा  कि उद्यान विभाग पूर्णतः पारदर्शी ढंग से कार्य कर रहा है। इस वर्ष की निकासी दर 99.35 प्रतिशत है, जो पिछले वर्ष की 99.31 प्रतिशत से अधिक है। 15 दिसम्बर तक शत-प्रतिशत निकासी पूरी होने की संभावना है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में आलू से संबंधित किसी प्रकार की समस्या नहीं है और विपक्ष द्वारा फैलाए जा रहे भ्रम तथ्यों पर आधारित नहीं हैं। विभाग द्वारा प्रत्येक जनपद की निकासी का विस्तृत विवरण भी उपलब्ध कराया जाएगा ताकि यह सुनिश्चित रहे कि किसानों की उपज का कहीं भी दुरुपयोग न हो।

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