
शिमला। हिमाचल प्रदेश के कोषागारों में भारी वित्तीय कुप्रबंधन और अनियमितताओं का खुलासा नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षा (कैग) की रिपोर्ट में हुआ है। वित्त वर्ष अप्रैल 2017 से मार्च 2022 के बीच हुईं इन अनियमितताओं के कारण प्रदेश को करोड़ों रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है। यह रिपोर्ट शुक्रवार को मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू द्वारा सदन के पटल पर रखी गई।
कैग की जांच में पाया गया कि ई-सैलरी और एकीकृत वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (IFMS) की तालिकाओं के परीक्षण के दौरान 59,564 बिल ऐसे अधिकारियों द्वारा पास किए गए जो इसके लिए अधिकृत नहीं थे।
दोहरा भुगतान और अनियमित चेक जारी
- 14 मामलों में एक जैसी राशि का अवकाश नकदीकरण दो बार मंजूर
➤ 2016 से 2021 के बीच 67.33 लाख रुपये का अनधिकृत भुगतान - 537 मामलों में चेक जारी करने की तिथि, चेकबुक प्राप्ति से पहले की पाई गई
- 2017–22 के दौरान
- 45,470 बिलों में 15–90 दिन की देरी
- 1,405 बिलों में 91–180 दिन की देरी
- 272 बिलों में 180 दिन से अधिक की देरी
पेंशन में गड़बड़ी
नियमों के अनुसार पेंशन जारी करने से पहले पेंशनभोगियों से हर साल जीवन प्रमाणपत्र लेना अनिवार्य है, लेकिन कई मामलों में प्रमाणपत्र लिए बिना ही पेंशन जारी कर दी गई। इससे बड़े स्तर पर वित्तीय जोखिम उत्पन्न हुआ।
पेंशन फर्जीवाड़ा: गैर पेंशनभोगियों को भुगतान
- गैर पेंशनभोगियों के नाम पर 19 फर्जी बिल तैयार
- 68,11,052 रुपये का गबन
- इसमें कंप्यूटर ऑपरेटर सीधे संलिप्त, जिसके खाते में 11,38,930 रुपये भेजे गए
- विभागीय जांच में कुल मिली राशि में से 29,61,836 रुपये अब भी बकाया
रिपोर्ट के अनुसार, यह अनियमितताएं कोषागार नियमों की अवहेलना और कमजोर निगरानी तंत्र को उजागर करती हैं। कैग ने इस पर तत्काल सुधारात्मक कदम उठाने की जरूरत पर जोर दिया है।















