
जयपुर : जयपुर में सोमवार सुबह स्कूल वाहनों के खिलाफ सघन चैकिंग अभियान चलाया गया। सुबह करीब सात बजे न्यायिक मजिस्ट्रेट, आरटीओ और ट्रैफिक पुलिस की संयुक्त टीम सड़कों पर उतरी और शहर के कई स्कूलों में बच्चों को लाने-ले जाने वाली बसों, वैन और ऑटोरिक्शा की जांच की गई। इस दौरान नियमों की पालना नहीं करने वाले वाहन चालकों के चालान काटे गए और कई वाहनों को जब्त भी किया गया।
दरअसल राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (रालसा) के निर्देश पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिवों (जज) ने यह निरीक्षण किया। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण प्रथम के सचिव दीपेंद्र माथुर और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वितीय की सचिव पल्लवी शर्मा ने करीब दो घंटे तक विभिन्न इलाकों में स्कूल वाहनों की जांच की। जांच के दौरान 21 बिंदुओं पर वाहनों का निरीक्षण किया गया, लेकिन एक भी वाहन ऐसा नहीं मिला जिसने सभी निर्धारित नियमों की पूरी पालना की हो।
निरीक्षण में सामने आया कि अधिकांश वाहनों में न तो फर्स्ट एड किट मौजूद थी और न ही जीपीएस सिस्टम लगाया गया था, जिससे स्कूल द्वारा वाहनों की निगरानी की जा सके। वैन और ऑटोरिक्शा में आपातकालीन निकास (इमरजेंसी एग्जिट) की सुविधा भी नहीं पाई गई। नियमों के अनुसार प्रत्येक स्कूल वाहन में ड्राइवर के साथ एक सहायक होना जरूरी है, ताकि बच्चे सुरक्षित रूप से चढ़ सकें और उतर सकें, लेकिन ज्यादातर वाहनों में सहायक मौजूद नहीं था। वहीं कई वाहनों में पीली स्ट्रिप भी नहीं लगी होने के कारण चालान काटे गए।
बनीपार्क क्षेत्र में एक स्कूल के सामने 15 वर्ष की वैधता अवधि पार कर चुके वाहनों से बच्चों का परिवहन करते पाया गया, जिस पर जज पल्लवी शर्मा ने मौके पर ही उन वाहनों को जब्त करने के निर्देश दिए। आरटीओ और ट्रैफिक पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए वाहनों को जब्त कर लिया। मानसरोवर क्षेत्र में एक स्कूल के बाहर एक ड्राइवर बिना लाइसेंस और बिना वर्दी के वाहन चलाते पाया गया, जबकि बस के जरूरी दस्तावेज भी उपलब्ध नहीं थे, जिस पर मौके पर ही चालान जारी किया गया।
राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने प्रदेश के सभी जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों को निर्देश दिए हैं कि प्रत्येक जिले में साल में कम से कम तीन बार स्कूल वाहनों का निरीक्षण किया जाए और इसकी वार्षिक रिपोर्ट 10 अप्रैल, 10 अगस्त और 10 दिसंबर तक रालसा को भेजी जाए। इसके अलावा, हर महीने होने वाले निरीक्षण की रिपोर्ट भी निर्धारित तिथि तक प्राधिकरण को भेजना अनिवार्य किया गया है।















