मैनपुरी। भीमसेन मंदिर में चल रहे पंचदिवसीय सत्संग और प्रवचन कार्यक्रम में दूसरे दिन साधना शर्मा ‘‘रामायणी‘‘ ने कहा कि भगवान राम की कथा केवल सुनना ही नहीं चाहिए बल्कि रामजी के चरित्र को अपनी जीवन शैली में अपनाना भी चाहिए। स्वामी प्रेमदास भदौरिया ‘‘सूरदास‘‘ ने कहा कि सच्चे मन से जो भी व्यक्ति भगवान का भजन और पूजन करते हैं वह निष्चित रूप से भगवान की अनुकम्पा और कृपा का पात्र होता है। बांदा से आये आचार्य वीरेन्द्र स्वरूप द्विवेदी ने कहा कि हमको भगवान की सिद्धि प्राप्त करने के लिए शारीरिक बल के साथ ही बुद्धि का बल भी अतिआवश्यक होता है, इन दोनों बलों के द्वारा ही भगवान को प्राप्त किया जा सकता है। स्वामी विवेकानंद महाराज ने कहा कि जो भी व्यक्ति भगवान राम की कथा को सुनता है उसे उससे पहले पवनपुत्र हनुमान की कथा अवश्य सुननी चाहिए।
मानस मर्मज्ञ डॉ राम बाबू पाठक ने कहा कि सत्संग में पवित्र मन से जाना चाहिए। संतजनों के पावन विचारों को सुनने के साथ ही उनका अनुशरण करना चाहिए। सत्संग पण्डाल में मन को एकाग्रचित्त रखना चाहिए। संचालन करते हुए आचार्य डॉ पंकज मिश्रा ने कहा कि भगवान के भजन का समय भले ही थोड़ा हो मगर भगवान का ध्यान करते समय मन पूरी तरह भगवत चरणों में ही लगाना चाहिए।
प्रवचन में संतों का साथ ऑरगन पर सुरेंद्र सिंह ‘‘‘चक्कर‘‘ ने तथा तबला पर धीरज बाबू ने दिया। इस दौरान अध्यक्ष महेश चंद्र अग्निहोत्री, वीर सिंह भदौरिया, आचार्य सहिबलाल तिवारी, आचार्य चंदन मिश्रा, आचार्य शिवकुमार द्विवेदी, रमेश चंद्र ‘‘सर्राफ‘‘, ज्ञानेंद्र देव दीक्षित, शिवराम तिवारी, गोविंद गुप्ता, पंडित कृष्ण मुरारी मिश्रा, देवेंद्र सिंह चौहान, जगदीश चन्द्र गुप्ता, प्रशान्त मिश्रा, प्रमोद सक्सेना, राजवीर भदौरिया, मूलचंद्र सक्सेना, राजेन्द्र प्रसाद मिश्रा, विनोद गुप्ता, नारायण राठौर, हरेंद्र चौहान, रामवीर भदौरिया, ब्रजकिशोर तिवारी आदि मौजूद थे।