– घर में घुसकर की थी पुलिस मित्र की मारपीट
– मौके पर पकड़े गए आरोपी को पुलिस ने छोड़ा
कुरावली/मैनपुरी। जनाब यह खाकी है, इसके खेल निराले होते है। रस्सी को सांप बनाना और सांप की रस्सी बनाना खाकी के दांए बांय हाथ का खेल है। और कुरावली खाकी वर्तमान में इस खेल का अच्छी तरह खेल रही है। यहां आने वाले पीडि़तो को अपनी फरियाद पर कार्रवाई के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगवाना पड़ता है। हद तो गुरुवार को तब हो गई जब एक गांव के लोगो ने एक पुलिस मित्र को पहले फोन पर गाली देकर उसका पता पूछा। उसके कुछ देर के बाद प्रधान का दबंग भाई अपने पांच छह साथियो के साथ पुलिस मित्र के घर में घुसकर आ गया और तमंचा हवा में लहराते हुए गाली गलौज करते हुए पुलिस मित्र पर जानलेवा हमला करते हुए मारपीट कर दी। पुलिस को सूचना मिलने पर पुलिस ने मौके से आरोपी प्रधान के भाई को मौके से पकड़ लिया। उसके साथी भागने में सफल हो गए। पुलिस मित्र की तहरीर पर पुलिस ने मुकदमा भी नही लिखा और तो और मौके से पकड़े गए आरोपी को छोड़ भी दिया। पुलिस मित्र का आरोप है कि इंस्पेक्टर ने मोटी रकम की घूस लेकर आरोपी को छोड दिया है।
थाना क्षेत्र के मोहल्ला घरनाजपुर निवासी पुलिस मित्र चन्द्रभान उर्फ भूरे पुत्र बेनीराम के मोबाइल पर बुधवार की रात्रि 9 बजे के लगभग क्षेत्र के गांव सिढ़पुरा के ग्राम प्रधान सबल सिंह का फोन आया। वार्ता में प्रधान की तरफ से गाली गलौज दी गई। उसके कुछ देर के बाद पुलिस मित्र के मोबाइल पर प्रधान के भाई अनुरुद्ध उर्फ पूरन का फोन आया। जिसने पुलिस मित्र को अश्लील गालियां देते हुए उसका पता पूछा न बताने पर प्रधान का भाई अपने पांच छह साथियो के साथ पुलिस मित्र के घर में घुसकर आ गया और हाथ में तमंचा लहराते हुए पुलिस मित्र पर जानलेवा हमला करते हुए मारपीट कर दी। सूचना मिलने पर पहुंची पुलिस ने मौके से प्रधान के भाई आरोपी पूरन को पकड़ लिया उसके साथी भागने में सफल हो गए। बुधवार की मध्य रात को पुलिस मित्र ने मुकदमा दर्ज कराने की तहरीर दी। गुरुवार को पुलिस मित्र मुकदमा दर्ज कराने के लिए थाने पहुंचा पुलिस ने मुकदमा दर्ज नही किया और मौके से पकड़े गए आरोपी को थाने से छोड़ दिया गया। पुलिस मित्र का आरोप है कि इंस्पेक्टर ने मोटी रकम की घूस लेकर आरोपी को छोड़ दिया है। इस घटना से पुलिस मित्रो में रोष व्याप्त है।
क्या पुलिस कमजोर करना चाहती है मुखबिर तंत्र?
कुछ दबंगो के द्वारा पुलिस मित्र पर जानलेवा हमला करके मारपीट करने का मामला में पुलिस की लापरवाही का रवैया देखने को मिला है। पुलिस ने पुलिस मित्र पर जानलेवा हमला का मुकदमा नही लिखा। मौके से पकड़े गए आरोपी को भी थाने से छोड़ दिया गया। यह पूरा मामला साफ तौर पर दर्शाता है कि पुलिस अपना मुखबिर तंत्र खुद कमजोर करना चाहती है। जब पुलिस मित्रो पर हमले होगे और थाने में जब उनकी ही नही सुनी जाएगी तो पुलिस के लिए काम करने से पुलिस मित्रो को क्या फायदा है।