मैनपुरी। चिकित्सक, पैरामेडिकल स्टाफ सेवा-भाव से कार्य करें, मरीजों के साथ अच्छा व्यवहार कर उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सेवा प्रदान करें, सभी सामुदायिक, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर पर्याप्त मात्रा में दवाएं उपलब्ध रहें, जांच की सुविधा भी स्वास्थ्य केंद्रों पर उपलब्ध रहे, जननी सुरक्षा योजना का लाभ प्रसूता, आशा को तत्काल उपलब्ध कराया जाए, प्रसव के समय ही प्रसूता से बैंक का विवरण।
चिकित्सक, पैरामेडिकल स्टाफ सेवा-भाव से कार्य करें – जिलाधिकारी
आधार कार्ड की प्रति ली जाए और तत्काल भुगतान किया जाए, आशा, ए.एन.एम., संगिनी के माध्यम से गर्भवती महिलाओं को संस्थागत प्रसव के लिए प्रेरित किया जाये,, स्वास्थ्य केंद्रों पर भर्ती मरीजों को उच्च क्वालिटी का खाना, नाश्ता उपलब्ध कराया जाए, खाने की गुणवत्ता की जांच चिकित्सक स्वयं करें, मरीजों, प्रसूताओं को खाना उपलब्ध कराने हेतु संचालित स्वयं सहायता समूह को वरीयता दी जाए, प्र. चिकित्साधिकारी इस हेतु अपने-अपने क्षेत्र के संचालित स्वयं सहायता समूह से वार्ता कर उन्हें इस कार्य हेतु प्रेरित करें।
कुछ स्वास्थ्य केंद्रों पर संचालित योजनाओं की प्रगति निराशाजनक होने पर व्यक्त किया असंतोष
उक्त निर्देश जिलाधिकारी अविनाश कृष्ण सिंह ने जिला स्वास्थ समिति की बैठक के दौरान दिए। उन्होंने असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि कुछ स्वास्थ्य केंद्रों पर स्वास्थ्य विभाग की संचालित योजनाओं की प्रगति निराशाजनक है, संबंधित प्रभारी चिकित्साधिकारी इस ओर ध्यान दें, जननी सुरक्षा योजना, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, नियमित टीकाकरण, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम आदि की प्रगति सुधारें। उन्होने संस्थागत प्रसव की स्वास्थ्य केंद्रवार समीक्षा करने पर पाया कि गत वर्ष माह फरवरी 2021 के सापेक्ष इस वर्ष माह फरवरी 2022 तक सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र किशनी में 140, करहल में 497, सुल्तानगंज में 117, बेवर में 260, बरनाहल में 230 एवं कुचेला में 183 संस्थागत प्रसव कम हुए हैं।
स्वास्थ्य केन्द्र बरनाहल, कुचेला, बेवर, जागीर में हुये संस्थागत प्रसव के सापेक्ष प्रसूताओं को योजना का लाभ उपलब्ध कराने में भी शिथिलता बरती गयी है, इस पर उन्होंने संबंधित प्र. चिकित्साधिकारियों को संस्थागत प्रसव की प्रगति सुधारने, प्रसूताओं, आशाओं को जननी सुरक्षा योजना का लाभ समय से उपलब्ध कराने के निर्देश दिये।
उन्होने राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम कार्यक्रम की समीक्षा के दौरान जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को निर्देशित करते हुए कहा कि तत्काल माइक्रो प्लान बनाकर संबंधित प्र. चिकित्सा अधिकारियों को उपलब्ध कराया जाए।
प्रभारी चिकित्सा अधिकारी अपने क्षेत्रातंर्गत संचालित विद्यालयों का रोस्टर तैयार कर संबंधित खंड शिक्षा अधिकारी को उपलब्ध कराएं जिस तिथि को जिन विद्यालयों में स्वास्थ्य विभाग की टीम बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण हेतु जाए, उस तिथि को विद्यालय में पंजीकृत समस्त बच्चे विद्यालय में उपस्थित हों, खंड शिक्षा अधिकारी सुनिश्चित करें ताकि उनका स्वास्थ्य परीक्षण हो सके। उन्होंने कहा कि जनपद में संचालित 18 प्राइवेट अल्ट्रासाउंड सेंटर की नियमित जांच हो, संचालित अल्ट्रासाउंड सेंटर निर्धारित मानक, शर्तों का अक्षरशः अनुपालन सुनिश्चित करें, उप जिलाधिकारियों के साथ स्वास्थ्य विभाग के संबंधित अधिकारी संयुक्त रूप से अल्ट्रासाउंड सेंटर का निरीक्षण करें।
पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराए जा रहे अति कुपोषित, कुपोषित बच्चों की खराब प्रगति पर नाराजगी व्यक्त करते हुए जिला कार्यक्रम अधिकारी को आदेशित करते हुए कहा कि सीडीपीओ के माध्यम से प्रत्येक विकास खंड से नियमित रूप से अति कुपोषित, कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराया जाए, सभी प्र. चिकित्साधिकारी भी इस ओर ध्यान दें, पोषण पुनर्वास केंद्र का कोई बैड किसी दिन खाली न रहे, अधिक से अधिक अति कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराकर उन्हें सुपोषण की श्रेणी में लाया जाए।
बैठक में मुख्य विकास अधिकारी विनोद कुमार, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. पी.पी. सिंह, उप जिलाधिकारी सदर नवोदिता शर्मा, डिप्टी कलेक्टर पे्रम प्रकाश, नरेन्द्र कुमार, आदेश सागर, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. अरविन्द गर्ग, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक महिला डा. ए.के. पचैरी, जिला विकास अधिकारी प्रवीन कुमार राय, जिला बेसिक शिक्षाधिकारी कमल कुमार।
अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डा. राजीव राय, डा. संजीव राव बहादुर, डा. राकेश कुमार, जिला होम्योपेथिक अधिकारी शमीम अहमद अंसारी, क्षय रोग अधिकारी डा. आर.पी.सिंह, डा.आर.के. सिंह, डा. अनिल यादव, डीएमसी यूनीसैफ संजीव पाण्डेय, स्वास्थ्य शिक्षाधिकारी रविन्द्र गौर, डीपीएम संजीव सहित समस्त प्र. चिकित्साधिकारी, अन्य संबंधित अधिकारी आदि उपस्थित रहे।