महोदवा महोत्सव : 17 से 23 नवंबर तक होगा आयोजन, 10 लाख से अधिक श्रद्धालु आएंगे

  • महोत्सव से धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने का प्रयास : जयवीर सिंह

लखनऊ। बाराबंकी के सूरतगंज ब्लॉक स्थित सुप्रसिद्ध पौराणिक तीर्थ स्थल लोधेश्वर महादेव में सात दिवसीय (17 से 23 नवंबर 2025) महादेवा महोत्सव 2025 का आयोजन किया गया है। समय के साथ यह महोत्सव केवल धार्मिक आस्था का केंद्र ही नहीं, बल्कि तेजी से विकसित हो रहे ग्रामीण पर्यटन का महत्वपूर्ण मॉडल भी बनता जा रहा है। महोत्सव में इस वर्ष भी 10 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है। इनमें स्थानीय लोगों के साथ-साथ बहराइच, गोंडा, लखनऊ, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों और मध्य प्रदेश से आने वाले आगंतुकों की संख्या सर्वाधिक रहती है।

उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि महादेवा महोत्सव ने आध्यात्मिकता के साथ-साथ स्थानीय अर्थव्यवस्था और पर्यटन विकास को भी मजबूती दी है। लाखों की संख्या में आने वाले आगंतुकों से जिले के होटल, होम स्टे, परिवहन, भोजनालय और स्थानीय बाजारों को बड़ा लाभ मिलता है। राजधानी लखनऊ से सटे होने की वजह से आगंतुकों के लिए मेला स्थल तक पहुंचना आसान है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध यातायात, बेहतर कनेक्टिविटी सुविधाओं और सुरक्षित माहौल ने ऐसे आयोजनों को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

बाराबंकी जिला स्थित लोधेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास काफी प्राचीन है। इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग धरती पर उपलब्ध 52 अनोखे एवं दुर्लभ शिवलिंगों में से एक है। मान्यता है कि महाभारत काल से पूर्व भगवान शिव ने पुनः पृथ्वी पर प्रकट होने की इच्छा की। बाराबंकी के दयालु और विद्वान ब्राह्मण लोधेराम अवस्थी को एक रात शिव ने स्वप्न में दर्शन देकर संकेत दिया। अगले दिन खेत की सिंचाई करते समय लोधेराम ने देखा कि पानी एक रहस्यमयी गड्ढे में समा रहा है। लोधेराम ने गड्ढे की खुदाई की तो उसका औज़ार किसी कठोर वस्तु से टकराया वह शिव मूर्ति थी। प्रतिमा के अंत तक पहुंच पाने में असमर्थ लोधेराम ने उसे उसी रूप में छोड़कर, वहीं मंदिर की स्थापना की। भक्त लोधेराम और ईश्वर के नाम से यह स्थल लोधेश्वर कहलाया जो आज शिव भक्तों का एक प्रमुख तीर्थ स्थल बन गया। कहा जाता है महाभारत के बाद पांडव ने भी इस स्थान पर महायज्ञ किया था।

बाराबंकी में ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए होमस्टे योजना के तहत लगभग 32 होमस्टे का विकास किया गया है, जहां आगंतुकों को स्थानीय संस्कृति, खानपान, ग्रामीण जीवनशैली और परंपरागत आतिथ्य का अनुभव कराया जाता है। लोधेश्वर महादेव मंदिर के पास 09 होम स्टे हैं, जो महादेवा महोत्सव में आने वालों के लिए महंगे होटलों का विकल्प बने हैं। वहीं, जिले में कुल 32 होम स्टे काम कर रहे हैं। प्राचीन मंदिर के करीब ही लोधेश्वर फार्म स्टे नाम से एक फार्म स्टे भी सक्रिय है, जहां आगंतुकों को मधुमक्खी पालन के साथ-साथ प्रोसेसिंग, पैकेजिंग आदि भी देखने को मिलता है।

महोत्सव में अक्षरा सिंह, समर सिंह और शिल्पी राज जैसे भोजपुरी कलाकार और गायक, कुमार सत्यम (गजल गायक), आचार्य शांतनु जी महाराज (कथावाचक), डॉ. विष्णु सक्सेना (कवि) सहित अन्य का अलग-अलग दिवस पर कार्यक्रम होना तय है। इसके अलावा, सांस्कृतिक संध्या अंतर्गत स्थानीय लोक कलाकारों का गायन, कत्थक नृत्य की प्रस्तुति, नाटक/जादू, लोक नृत्य/झांकी, अवधि लोक गीत/भजन, आल्हा उदल प्रस्तुति और जवाबी कीर्तन आदि प्रस्तुतियां निर्धारित हैं।

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