हे राम!… गांधी जी का वह आखिरी दिन, घड़ी में बजे थे 5.17

हे राम, हे राम यह शब्द थे अहिंसा के पुजारी गांधी जी के जब उनको गोली लगी थी। आज 30 जनवरी है आज ही के दिन देश के सबसे प्रतिष्ठित प्रभावी और अहिंसावादी व्यक्तित्व जैसे गुणों के धनी महात्मा गांधी जी की एक कट्टरपंथी सोच वाले एक जाहिल व्यक्ति के द्वारा हत्या कर दी जाती है। गांधी जी ने लोगो को अहिंसा का पाठ पढ़ाया। सत्याग्रह और सविनय अवज्ञा जैसे आंदोलनों से लाखो भारतीयों को एक जुट करने वाले उसी व्यक्ति की हिंसा कर हत्या कर दी जाती है।

गांधी जी की मौत की खबर ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया था ,आइए हम बताते हैं कि क्या कुछ घटा था उस 30 जनवरी 1948 के दिन गांधी जी हमेशा की तरह सुबह साढ़े तीन बजे उठे और सुबह की प्रार्थना में हिस्सा लिया। इसके बाद उन्होंने रोज की तरह नींबू और शहद से बने पेय पदार्थ को पिया और फिर अपनी दैनिक कार्यों में लग गए।

रोज की तरह गांधी जी से मिलने वालों का आवा गमन शुरू हो गया था। दोपहर बाद गांधी जी से मिलने कांग्रेस नेता और श्रीलंका के एक राजनयिक अपनी बेटी के साथ पहुंचे थे। उनके साथ इतिहासकार राधा कुमुद मुखर्जी भी थे। गांधी जी से मिलने वालों में सबसे खास व्यक्ति थे सरदार पटेल, जो लगभग साढ़े चार बजे पहुंचे थे। गांधी और पटेल के बीच पटेल चर्चा इतनी गहरी हो गई थी की गांधी जी को प्रार्थना सभा में जाने की देरी हो गई थी।

5 बजकर 15 मिनट पर गांधी जी बिरला हाउस से निकलकर प्रार्थना स्थल की ओर जा रहे थे ,राम चंद्र गुहा अपनी किताब ‘गांधी द इयर दैंट चेंज्ड द वर्ल्ड ‘में लिखते हैं कि प्रेरणास्थल के लिए बने चबूतरे की सीढ़ियों के पास गांधी जी पहुंचे ही थे कि खाकी कपड़े पहने हुए नाथूराम गोडसे उनकी तरफ बढ़े। उनके हाव भाव देखकर एक समय यह लगा की गोडसे उनके पैर छूना चाहते हैं। आगे वह लिखते हैं कि आभा ने उनको रोकने की कोशिश की लेकिन गोडसे ने उन्हे धक्का दे दिया जिससे आभा के हाथ से गांधी की नोटबुक और थूकदान नीचे गिर गए और इसी बीच गोडसे ने अपनी बरैटा पिस्तौल से गांधी जी पर एक के बाद एक तीन गोली चलाई। एक गोली उनके सीने में और दो गांधी जी के पेट में समा गईं। हे राम की चीख के साथ गांधी जी जमीन पर गिर गए। उनकी घड़ी में उस वक्त 5 बजकर 17 मिनट हुए थे। उसके बाद डॉक्टर्स ने उन्हे मृत घोषित कर दिया। इसके बाद 1 5 नवंबर 1949 को नाथूराम गोडसे को फांसी दे दी गई। बता दे आपको कि गांधी की हत्या के आरोप में गोडसे के साथी नारायण आप्टे को भी मौत की सजा हुई। बाकी 6 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें

एनवीएस-02 को लॉन्च करने का काउंटडाउन शुरू मौनी अमावस्या के महास्नान को लेकर प्रयागराज में उमड़ी भारी भीड़ रेउसा को मिली एक वृहद गोशाला अयोध्या में रामलला के दर्शन के लिए लाखों की भीड़ पहुंच गई है योगी जी अमित शाह को भी सिखाएं गैंगस्टर ख़त्म करने का तरीका- अरविन्द केजरीवाल