Mahatma Gandhi Death Anniversary:  बापू ने जब एक बार कहा था..“मैंने किताबों में नकल करने की कोशिश की, लेकिन…

kajal soni

महात्मा गांधी को 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने गोली मारी थी। यह घटना दिल्ली के बिरला हाउस (अब गांधी स्मृति) में घटी थी। गांधी जी की हत्या भारत के लिए एक गहरी शोक की स्थिति थी और उन्होंने अहिंसा, सत्य और स्वतंत्रता संग्राम के लिए अपने जीवन को समर्पित किया था

महात्मा गांधी के जीवन में बहुत सी प्रेरणादायक और दिलचस्प घटनाएँ रही हैं, , चलिए आज उनकी पुण्यतिथि के उपलक्ष्य कुछ दिलचस्प किस्सों पर चर्चा करते हैं जो गांधी जी के जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को उजागर करते हैं।

  1. मिडल स्कूल के दिनों का चोरी का किस्सा:
    महात्मा गांधी ने अपनी जवानी में कुछ गलतियाँ की थीं। जब वह स्कूल में पढ़ाई करते थे, तब एक बार उन्होंने अपनी किताबों से नकल की थी। वह खुद इस घटना का जिक्र करते हुए कहते थे कि, “मैंने किताबों में नकल करने की कोशिश की, लेकिन इसका मुझे बहुत पछतावा हुआ।”
  2. पार्सी डॉक्टर की सलाह और शाकाहारी आहार:
    गांधी जी का जीवन शाकाहारी था, और यह उनकी विचारधारा का महत्वपूर्ण हिस्सा था। एक बार जब वह इंग्लैंड में पढ़ाई कर रहे थे, तब उन्होंने अपनी आहार संबंधी आदतों पर पुनर्विचार किया। वह एक पार्सी डॉक्टर से मिले थे जिन्होंने उन्हें शाकाहारी भोजन के फायदे बताए और इसने गांधी जी को प्रभावित किया। उन्होंने अपने आहार में सुधार करना शुरू किया और फिर शाकाहारी जीवनशैली को अपनाया। बाद में यह उनकी पहचान बन गई और उन्होंने इसे पूरे विश्व में फैलाने का कार्य किया।
  1. लंदन में पहले सत्याग्रह की शुरुआत:
    महात्मा गांधी का जीवन भारत में स्वतंत्रता संग्राम से पहले भी उल्लेखनीय था। जब वे इंग्लैंड में पढ़ाई कर रहे थे, तो उन्होंने वहां एक नये अनुभव का सामना किया। लंदन में एक बार, गांधी जी को एक रेस्टोरेंट में प्रवेश करने से मना किया गया क्योंकि वह भारतीय थे। गांधी जी ने इसका विरोध किया और वह यहीं से नस्लीय भेदभाव और उत्पीड़न के खिलाफ संघर्ष के लिए प्रेरित हुए। बाद में, उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में पहली बार सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत की, जो कि भारतीयों के खिलाफ भेदभाव के खिलाफ था।
  2. सत्याग्रह और असहमति:
    गांधी जी का सत्याग्रह आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का अहम हिस्सा था। एक दिलचस्प किस्सा उस समय का है जब गांधी जी ने अंग्रेजों के खिलाफ असहमति जताते हुए ‘नमक सत्याग्रह’ का आयोजन किया। यह आंदोलन महात्मा गांधी द्वारा भारत में अंग्रेजी नमक कर के खिलाफ किया गया था
  3. हिंसा के खिलाफ गांधी जी की विचारधारा:
    गांधी जी का जीवन हमेशा अहिंसा के सिद्धांत पर आधारित था। उनका मानना था कि केवल अहिंसा से ही सच्ची स्वतंत्रता और शांति प्राप्त की जा सकती है। एक दिलचस्प घटना उस समय की है जब उन्होंने चंपारण सत्याग्रह के दौरान किसानों की मदद करने का निर्णय लिया। वहां पर किसानों को अंग्रेजी ज़मींदारों द्वारा शोषित किया जा रहा था। गांधी जी ने हिंसा के बिना शांतिपूर्ण तरीके से इस शोषण का विरोध किया, जिससे उन्हें एक बड़ा जनसमर्थन मिला और अंततः अंग्रेजों को झुकना पड़ा।
  4. पदयात्रा – गांधी जी की संघर्ष की शक्ति:
    महात्मा गांधी की सबसे बड़ी विशेषता थी उनका आम आदमी से जुड़ा रहना और खुद को हमेशा संघर्ष में शामिल करना। उनका ‘दांडी मार्च’ (Salt March) इस बात का उदाहरण है। 1930 में, गांधी जी ने भारतीय नागरिकों को ब्रिटिश सरकार द्वारा लगाए गए नमक कानून के खिलाफ एकजुट किया। यह मार्च 24 दिन और 240 मील लंबा था। इस यात्रा के दौरान, गांधी जी के साथ हजारों लोग चले थे। यह एक ऐतिहासिक घटना बनी, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा देने वाली साबित हुई।
  1. महात्मा गांधी और उनका परिवार:
    गांधी जी के जीवन में परिवार और उनका व्यक्तिगत जीवन भी महत्वपूर्ण था। उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी के साथ उनके संबंध बहुत गहरे थे, और कस्तूरबा गांधी भी उनके संघर्षों का अहम हिस्सा थीं। गांधी जी ने खुद को हमेशा अपनी पत्नी और परिवार के प्रति जिम्मेदार समझा। हालांकि, वह बहुत सख्त थे, लेकिन उन्होंने अपने बच्चों को भी सरल और सच्चे जीवन जीने की शिक्षा दी।
  2. गांधी जी का अस्वस्थता से संघर्ष:
    गांधी जी का जीवन स्वास्थ्य संबंधी संघर्षों से भी भरा हुआ था। वह हमेशा अपनी सेहत का ध्यान रखते थे और योग, ध्यान, और प्राकृत चिकित्सा के माध्यम से अपनी सेहत बनाए रखते थे। एक बार, उन्होंने अपने शरीर के इलाज के लिए अंग्रेजी दवाओं का विरोध किया और भारतीय चिकित्सा पद्धतियों को अपनाया। उन्होंने साबित किया कि मानसिक शांति और शारीरिक स्वास्थ्य आपस में जुड़े हुए हैं, और यही कारण था कि वह अपने जीवन में मानसिक संतुलन को बहुत महत्व देते थे।
  3. महात्मा गांधी का आत्मनिर्भरता का सिद्धांत:
    गांधी जी ने स्वदेशी आंदोलन को भी बहुत बढ़ावा दिया। उन्होंने ‘स्वदेशी कपड़ा’ पहनने की आदत को लोकप्रिय बनाया और खुद भी खादी का कपड़ा पहनते थे। उनका मानना था कि भारतीयों को आत्मनिर्भर बनने की आवश्यकता है। यह सिद्धांत उनके जीवन में बहुत महत्वपूर्ण था, क्योंकि वे हमेशा भारत को आत्मनिर्भर और स्वतंत्र बनाने की दिशा में काम करते रहे।

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