
Maharashtra : महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे मुंबई में महापौर चुनाव को लेकर सक्रिय हैं। मुंबई में ऐतिहासिक रूप से शिवसेना का दबदबा रहा है, लेकिन बीएमसी चुनावों से पहले ठाकरे भाइयों के संभावित पुनर्मिलन से ‘हिंदुत्व बनाम मराठी’ की जंग फिर से तेज हो सकती है। शिंदे ने स्पष्ट किया है कि इस बार महापौर महायुति से ही होंगे और यह पद दो बार से अधिक नहीं बदलेगा।
मुंबई महापौर चुनाव का मुख्य मुकाबला भाजपा के हिंदुत्व एजेंडे और ठाकरे परिवार के ‘मराठी प्रथम’ विचारधारा के बीच होने की आशंका है। सूत्रों के अनुसार, भाजपा ने मीरा-भयंदर और ठाणे में शिंदे की शिवसेना को महापौर पद संभालने का समर्थन किया है, लेकिन मुंबई के लिए कोई समझौता नहीं होगा। इस परिस्थिति में शिंदे को शहर में शिवसेना का वर्चस्व बनाए रखने के बजाय भाजपा के सहयोगी की भूमिका में देखा जा रहा है।
शिंदे का स्पष्ट एजेंडा और विचारधारा
जब उनसे ठाकरे परिवार के पुनर्मिलन के सवाल पर पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि सभी दलों को गठबंधन का अधिकार है, लेकिन उनका एजेंडा स्पष्ट है—विकास और कल्याणकारी योजनाएं। उन्होंने बालासाहेब ठाकरे की विचारधारा का अनुसरण करने का भी जिक्र किया।
राजनीतिक तनाव और आगे का रास्ता
मुंबई महानगर क्षेत्र में महापौर चुनाव को लेकर शिंदे गुट और भाजपा के बीच तनाव भी देखने को मिल रहा है। शिंदे गुट के कार्यकर्ताओं ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र चव्हाण से अनियंत्रित खरीद-फरोख्त को लेकर तीखी बहस की है।
वहीं, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गठबंधन को 2029 तक कायम रखने का भरोसा जताया है। उन्होंने कहा कि भाजपा को ‘आत्मनिर्भर’ बनाने के साथ-साथ गठबंधन को भी मजबूत बनाए रखेंगे।
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