
महराजगंज : जनपद के पश्चिमी छोर पर स्थित सहजनवा बाबू और खड़खोड़ा में पुरातत्व विभाग की टीम द्वारा किए गए प्राचीन टीलों के निरीक्षण से यहां बौद्ध स्तूप और स्थल के कायाकल्प की प्रबल संभावना जाग उठी है। विगत एक वर्ष से दोनों ग्रामों के पुरातात्विक स्थलों के संरक्षण की मांग देवदह रामग्राम बौद्ध विकास समिति द्वारा की जा रही थी, जिससे अब संबंधित विभाग द्वारा सर्वेक्षण एवं निरीक्षण किए जाने के बाद काफी आशा जगी है।
उक्त जानकारी रामग्राम एवं देवदह बौद्ध विकास समिति के अध्यक्ष जितेन्द्र राव ने देते हुए बताया कि सहजनवा बाबू के प्राचीन टीले एवं स्तूप का पुरातत्व विभाग द्वारा किया गया सर्वेक्षण एवं निरीक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण है। अब सहजनवा बाबू और खड़खोड़ा के स्तूप एवं पुरातात्विक स्थलों को पुरातत्व विभाग अपने संरक्षण में लेकर, इन्हें वैश्विक धरातल पर लाकर इनके प्राचीन महत्व को उजागर करेगा। साथ ही, इन दूरदराज क्षेत्रों के बौद्ध स्तूपों व स्थलों का कायाकल्प होने की संभावनाएं प्रबल हो गई हैं। इससे इस क्षेत्र का विकास निरंतर बढ़ेगा। इस उद्देश्य से सहजनवा बाबू के स्तूप की खसरा-खतौनी पुरातत्व विभाग को भेजी जा चुकी है।
जितेन्द्र राव ने यह भी बताया कि बृजमनगंज विकास क्षेत्र के सहजनवा बाबू और खड़खोड़ा के प्राचीन स्तूपों व स्थलों का राज्य पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की टीम ने क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी कृष्ण मोहन दूबे के नेतृत्व में गहनता से निरीक्षण किया। पुरातात्विक अवशेषों की सूक्ष्मता से जांच की गई। इस दौरान खड़खोड़ा के प्राचीन शिव मंदिर का भी टीम ने निरीक्षण किया। उन्होंने यह भी बताया कि अब शासन स्तर पर इन पुरातात्विक स्थलों के कायाकल्प के लिए पहल शुरू हो गई है। इन स्थलों को कुषाण काल के अवशेष होने की संभावना है।
ये भी पढ़ें: गाजियाबाद : चोरी के शक में युवक को दी भीड़ ने तालिबानी सजा
महराजगंज : स्वच्छ भारत मिशन को लगा ताला, छह महीने से बंद पड़ा सामुदायिक शौचालय