महराजगंज: डीएम से मिलकर चमक उठी साजरा के आंखों में उम्मीद की रोशनी

  • जिलाधिकारी संतोष कुमार शर्मा ने मामले को गंभीरता से लिया संज्ञान, कहा बेटी मददगार बनेगा जिला प्रशासन
  • बाप-दादा की बिरासत में मिली गरीबी के भंवर में उलझ गई अंधी साजरा और बड़ी बहन सायरा की कहानी
  • गांव में न तो परिवार के लिए रहने को आशियाना है और न ही दो जून की रोटी का ठिकाना

महराजगंज: यह सही है, जिसका कोई नहीं होता, उसका सहारा भगवान हैं। पुराणों में वर्णित है समय से पहले और भाग्य से ज्यादा कुछ नहीं मिलने वाला। सोमवार ग्राम प्रधान और ग्राम सचिव की उपेक्षा की शिकार आंख की अंधी साजरा खातून जनसुनवाई के दौरान अपने मां के साथ जिलाधिकारी संतोष कुमार शर्मा के कार्यालय जा पहुंची। अंधी लड़की को देखते ही जिलाधिकारी ने अपने करीब बुलाया। और उनके परेशानियों को बडे ही इत्मीनान से सिलसिलेवार सुनी।

उनकी बातों को सुनने की उपरांत डीएम साहब के फोन की घंटी घनघना उठी। संबंधित अधिकारी को पूरे मामले को बताया। डीएम ने कहा कि बेसहारा को सहारा देना ही सरकार की मंशा है। गरीब को रहने के लिए आशियाना और खाने के लिए दो जून की रोटी का बंदोबस्त करना ही जिला प्रशासन की पहली प्राथमिकता है।‌ सरकार ने हमें जो जिम्मेदारी सौंपी है, उस कसौटी पर खरा उतरने के हम सभी को मिलकर सांझा प्रयास करना चाहिए। डीएम साहब की बात सुन अपनी मां के साथ आई अंधी साजरा खातुन के आंखों से रोशनी की किरण छलकी,मन भावुक हो गया। चेहरे पर मुस्कान की खिलखिलाहट साफ नजर आई। उन्हें ऐसा लगा कि मानों सभी खुशियां भगवान ने उसके झोली में एक साथ डाल दिए हों।

उल्लेखनीय है कि यह मामला सदर तहसील के छपिया गांव की है। डीएम साहब को दिए शिकायती पत्र में साजरा खातून पुत्री समीम ने कहा है कि आंख से विकलांग (अंधी) हूं। हमारे परिवार में कुल 09 सदस्य है। मेरे पिता के पास चल अथवा अचल कोई संपत्ति नही है। मेरी बड़ी बहन सायरा भी मेरी तरह ही विकलांग आंख की अन्धी है। मेरे माता पिता मेहनत मजदूरी किसी तरह से हम लोगों की परवरीश कर रहे हैं। बहुत गरीबी, मुफलिसी में अपना जीवन यापन कर रहे है। रहने के लिए एक आवास भी नही है। हम लोग किसी तरह से पंचायत भवन के पास रह कर जिवन यापन कर रहे हैं। शासन द्वारा हम प्रार्थिनी का आवास स्वीकृत हुआ है। शासन के निर्देशानुकुल आवास निर्माण के लिए मेरे खातें में 40 हजार रुपए आया। ग्राम प्रधान पति साबिर खान पुत्र मोदिन खान जल्दी से आवास बनवाने के नाम पर मुझसे शासन द्वारा भेजे गये 39 हजार रुपए रख लिये।

मकान बनवाने का सामान धीरे-धीरे गिरवा दिये। और मकान बनवाने के लिये दो डिसमील जमीन भी चिन्हित कराए। नींव खुदवा कर रद्दा नींव चलवा दिए। 6 जून 2025 को हम प्रार्थिनी व हमारे माता पिता उस जमीन पर लेबर मिस्त्री के साथ घर बनवाने गए। तो बगल के रहने वाले असलम पुत्र अनवारूल व असलम की औरत व उपरोक्त सादीर खान यह कह कर कार्य रोक दिया कि जब शासन द्वारा तुम्हारे खाते में 70 हजार रुपए आएगा, तभी मकान बनेगा।दोनों बहनों ने आरोप लगाया कि साबीर प्रधान उसी रूपए की मांग कर रहे हैं। पीड़ितों की बात सुन जिलाधिकारी ने तत्काल मामले की जांच कर दोषी के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश दिया।दैनिक भास्कर महराजगंज टीम ने पीड़ित बहनों से बात की। दोनों बहनों ने दोषी गांव प्रधान को ठहराया।

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