महराजगंज: भगवान बुद्ध के जीवन काल से जुड़ा है प्राचीन शिव मंदिर का इतिहास, यहां भक्तों की हर मुराद होती है पूरी

  • अपने भक्तों की हर मुरादें पूरी करते है भगवान शिवशंभू : महंत बहरैची
  • कटहरा का प्राचीन शिवमन्दिर भगवान बुद्ध के ननिहाल से जुड़ा है

चौक बाजार, महराजगंज। सदर ब्लॉक क्षेत्र के ग्राम सभा कटहरा घने जंगल के बीच में बसा है बताया जाता है कि वह स्थान पहले खण्डहर के रूप में था 1948 में कुछ लोग यहां आकर बस गए प्राकृतिक सौन्दर्य एव वनों से आक्षादित यह मंदिर बौद्ध कालीन का है गौतम बुद्ध की माता गौतमी गर्भावस्था में इसी मंदिर के रास्ते से होकर लुंबनी नेपाल गयी थी इस क्षेत्र के जमींदार अफजल खान ने डुग्गी मुनादी लगवा कर लोगों को यहाँ बसने का आग्रह किया लेकिन कोई यहां बसना नही चाहता था क्योंकि जंगल मे काफी संख्या में हिंसक जानवर रहते थे बाद में लोगों ने जंगलों को काटकर कृषि योग्य भूमि तैयार किया। मन्दिर के उत्तर तरफ तीन विशाल पोखरे आज भी मौजूद है।

बताया जाता है कि इस पोखरे में रानियां स्नान करने आती थी। खण्डहर के बीच में एक प्राचीन शिवमन्दिर था मन्दिर से कुछ दूरी पर एक राजा का दरबार था राजा के दरबार से शिवमंदिर तक सुरंग था सुरंग के जरिए ही राजा और रानी शिव मंदिर पहुच कर पूजा अर्चन करते थे धीरे धीरे मन्दिर से चमत्कार होने लगा लोगों की मन्नते पूरी होने लगी कालान्तर में यह मंदिर इतना प्रशिद्ध हो गया कि यहां हर महाशिवरात्रि को विशाल मेला लगने लगा।

बताया जाता है कि 1950 में कुशीनगर के सेमरहिया गांव निवासी बाबा कमलदास मन्दिर से इतने प्रभावित हुए की यहां झोपड़ी डालकर रहने लगे कटहरा में भगवान बुद्ध का ननिहाल है। कटहरा मन्दिर के लोकप्रियता को देखत हुए।सावन महीने में यहां भगववान भोलेनाथ को जलाभिषेक करने के लिए भारी संख्या में लोग जाते है।यहां जनपद के आलावा गोरखपुर, देवरिया,कुशीनगर, सिद्धार्थनगर, सन्त कबीर नगर ,बिहार नेपाल के भी श्रद्धालु आते है।महाशिवरात्रि के महान पर्व पर रात 2 बजे से ही भगवान शिव को जलाभिषेक करने वाले श्रद्धालुओं की लंबी कतार लग जाती है साधु संतों की पूजा के बाद मंदिर का कपाट खोल दिये जाते है मेला समिति के पदाधिकारीयों द्वारा भरपूर व्यवस्था किया गया है।

अरसों से चले आ रहे हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी यहां पर यज्ञ का कार्यक्रम चल रहा है।मेले की सभी तैयारिया पूर्ण हो गयी है ।मन्दिर में भगवान भोलेनाथ को जलाभिषेक करने के लिए महिलाओं एवं पुरुषों की अलग अलग व्यवस्था की गई है जिससे श्रद्धलुओं को किसी प्रकार की परेशानी न हो मेले में बच्चों के मनोरंजन के लिए चरखी, झूला, मिठाईयों एवं श्रृंगार से दुकाने पूर्ण रूप से सज गई है। यह जानकारी मन्दिर समिति के पदाधिकारी मिथिलेश सिंह ने दी है।

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