
Maharajganj : सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून को आमजन की ताकत और सरकारी कामकाज में पारदर्शिता का सशक्त माध्यम माना जाता है, लेकिन जिले में इसकी तस्वीर बिल्कुल उलट सामने आई है। सिसवा ब्लॉक के चनकौली गांव निवासी रामसनेही निषाद ने ग्राम सभा के विकास कार्यों से जुड़ी चार बिंदुओं पर सूचना मांगी थी। सचिव ने इसके लिए 20,500 रुपये की भारी-भरकम फीस वसूल ली।
शुल्क जमा करने के बाद जब सूचना का पार्सल मिला तो उसमें मांगी गई जानकारी के बजाय आधार कार्ड और बैंक पासबुक की फोटोकापियां थीं। इस रवैये से ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया और वे जिलाधिकारी कार्यालय पर प्रदर्शन करने पहुंच गए।
रामसनेही निषाद ने वर्ष 2016 से 2025 तक ग्राम सभा में हुए कार्यों की पूर्ति की नकल, आय-व्यय का ब्यौरा, मनरेगा मस्टर रोल और पीएम आवास योजना 2024-25 के लाभार्थियों की सूची मांगी थी। आरोप है कि पंचायत सचिव पहले लगातार टालमटोल करता रहा। प्रथम अपील के बाद उन्हें 20,500 रुपये फोटो कॉपी शुल्क ग्राम निधि खाते में जमा करने का निर्देश मिला।
नियमों के अनुसार शुल्क जमा करने के बाद भी जब सूचना मिली तो उसमें वास्तविक जानकारी के बजाय कागजों से भरा एक गत्ता और ग्रामीणों के निजी दस्तावेजों की प्रतियां थीं। असली सूचना न मिलने पर ग्रामीणों ने इसे जनता के अधिकारों के साथ खुले खिलवाड़ करार दिया। उनका कहना था कि जानबूझकर उन्हें परेशान किया गया और शुल्क जमा कराने के बावजूद वास्तविक जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई।
नाराज ग्रामीण जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे और निष्पक्ष जांच की मांग की। मामले ने तूल पकड़ने पर जिला विकास अधिकारी को जांच सौंपी गई। मौके पर पहुंचे अपर उपजिलाधिकारी प्रेमशंकर पांडेय ने ग्रामीणों को शांत कराया और कहा कि यदि आरटीआई के तहत पूरी जानकारी नहीं मिली है तो वे अपील कर सकते हैं।










