
भास्कर ब्यूरो
- जनपद में 1.80 लाख हेक्टेयर धान तैयार,बारिश से धान की फसल गिरने का खतरा मंडराया
- रबी फसलों की बुआई हुई बाधित, खिंच गई चिंता की लकीरें
- हार्वेस्टर मशीनों पर लगा ब्रेक,कटाई रूकी
Maharajganj : जिले में मोथा चक्रवात का असर गहराता जा रहा है, जिससे किसानों की माथे पर चिंता की लकीरें खींच रही है।दशहरा के समय हुई बारिश से पहले ही परेशान किसान अब चक्रवात के चलते हो रही लगातार बूंदाबांदी से और अधिक परेशान हो गए हैं।मंगलवार से शुरू हुई बारिश बुधवार को भी जारी है,जिससे तापमान में गिरावट दर्ज की गई और सड़कों पर फिसलन बढ़ गई है। इस समय किसान आलू, सरसों, टमाटर और मटर जैसी रबी फसलों की बोआई में जुटे थे,लेकिन मौसम की मार ने उनकी अरमानों पर पानी फेर दिया है।जिले में लगभग 1.80 लाख हेक्टेयर में धान की फसल तैयार है और किसान उसकी कटाई भी शुरू कर दी है,लेकिन मौसम में आए इस अचानक बदलाव ने उनकी मेहनत पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। मौसम विज्ञान केंद्र के प्रभारी के अनुसार अगले 36 घंटों तक मोथा चक्रवात का असर बना रह सकता है, जिससे हालात और खराब होने की आशंका है।
धान की फसल पर संकट
अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में जब अधिकांश खेतों में धान की फसल पककर तैयार हो चुकी है, ऐसे समय में बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। दोपहर बाद हुई हल्की बारिश के बाद कई जनपद में की स्थानो पर खेतों में पानी भर गया है। किसानों का कहना है कि बारिश के कारण धान की फसल खेतों में गिरने लगी है, जिससे उत्पादन और गुणवत्ता दोनों पर असर पड़ेगा। गबडुआ, रामपुर बुजुर्ग, बागापार, कटहरा, खेमपिपरा, पचरुखिया और निचलौल क्षेत्र में लगातार बूंदाबांदी हो रही है, जिससे किसान चिंतित हैं।किसान तस्लीम ख़ान, उपेन्द्र कुशवाहा, कृष्ण कुमार सिंह, रमजान अली,मेराजुद्दीन,सुजीत कुमार और सुभाष चन्द्र यादव ने दैनिक भास्कर नगर संवाददाता को बताया कि अभी फसल कम गिरी है,लेकिन यदि बारिश यूं ही जारी रही तो नुकसान बहुत अधिक हो सकता है। मिठौरा ब्लॉक के किसान जनार्दन पटेल और राकेश पटेल कहते हैं, कि कई स्थानों पर फसलें गिर चुकी हैं और जो फसलें कट चुकी थीं, वे भीगने से सड़ने की कगार पर हैं। तापमान में गिरावट और ठंडक बढ़ने से मौसम में बदलाव साफ महसूस किया जा रहा है।
रबी फसलों की बोआई पर भी असर
मोथा चक्रवात का असर सिर्फ धान तक सीमित नहीं है, बल्कि मटर, मसूर और तिलहन जैसी रबी फसलों की बोआई भी प्रभावित हो रही है। लगातार दो दिनों से हो रही बारिश के कारण खेतों में पानी भर गया है, जिससे बोआई करना मुश्किल हो गया है। जिन किसानों ने पहले ही बोआई कर दी थी, वे बीज के अंकुरण को लेकर चिंतित हैं।बारिश इसी तरह जारी रही तो उन्हें दोबारा बोआई करनी पड़ सकती है,जिससे लागत बढ़ेगी और नुकसान भी होगा।
नुकसान की आशंका
जिले में मौसम की इस मार से किसानों को भारी आर्थिक नुकसान की आशंका है। खेतों में खड़ी फसलें जहां गिर रही हैं, वहीं कटी हुई फसलें भीगकर खराब हो रही हैं। यदि बारिश का सिलसिला यूं ही जारी रहा, तो फसलें पूरी तरह बर्बाद हो सकती हैं। ऐसे में किसानों को सरकार से राहत और सहायता की उम्मीद है ताकि वे इस संकट से उबर सकें।
इनकी भी सुनिए
जिला कृषि अधिकारी शैलेन्द्र प्रताप सिंह ने दैनिक भास्कर के माध्यम से किसानों को सलाह दी है कि वे मटर की बोआई मोथा चक्रवात के गुजरने के बाद ही करें। उनका कहना है कि अधिक बारिश होने पर मटर के बीज ठीक से अंकुरित नहीं हो पाएंगे और किसानों को नुकसान उठाना पड़ेगा। साथ ही, धान की कटाई भी मौसम को देखते हुए ही करनी चाहिए ताकि फसल को अधिक नुकसान से बचाया जा सके।










