
- सीमा क्षेत्र में ओवररेटिंग का खेल तेज, प्रशासनिक चुप्पी पर उठे गंभीर सवाल
- सवाल पड़ा महंगा: एमआरपी से अधिक शराब बिक्री पर पूछे गए सवाल से नाराज़ हुए जिला आबकारी अधिकारी
Sonauli, Maharajganj : भारत–नेपाल अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित सोनौली कस्बा इन दिनों अवैध ओवररेटिंग और संगठित उपभोक्ता शोषण का केंद्र बनता जा रहा है। मानक दर (MRP) को ताक पर रखकर दुकानदार खुलेआम लूट मचाए हुए हैं, और सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह सब प्रशासन की नाक के नीचे हो रहा है।
दैनिक भास्कर के पत्रकार द्वारा जिला आबकारी अधिकारी से फोन पर सवाल पूछना महंगा पड़ गया, जब अधिकारी बिना किसी प्राथमिक सत्यापन के नाराज़ हो गए और पत्रकार का फोन काट दिया। अधिकारी ने आरोपों को सिरे से नकारते हुए किसी भी प्रकार की जांच या तथ्यों की पड़ताल से इनकार कर दिया।
पत्रकार के अनुसार, उन्हें लगातार आम उपभोक्ताओं से शिकायतें मिल रही थीं कि कुछ शराब दुकानों पर निर्धारित एमआरपी से अधिक दाम वसूले जा रहे हैं। इन्हीं शिकायतों के आधार पर उन्होंने जिला आबकारी अधिकारी से पक्ष जानना चाहा, लेकिन सवाल सुनते ही अधिकारी का रवैया तीखा हो गया और उल्टा पत्रकार पर फर्जी बातें फैलाने का आरोप लगाकर बातचीत बीच में ही समाप्त कर दी गई।
खुलासा: एक ब्रांड, दो बोतलें, दो MRP
स्थानीय जांच और प्रत्यक्ष साक्ष्यों में सामने आया है कि सोनौली में बिक रही शराब की एक ही ब्रांड की बोतलों पर दो अलग-अलग MRP छापी जा रही हैं:
- ₹550–₹560 MRP वाली बोतलें भारतीय ग्राहकों के लिए
- ₹660 MRP वाली वही बोतलें विशेष रूप से नेपाली ग्राहकों के लिए
नेपाल से खरीदारी करने वाले हजारों नागरिक भाषा, मुद्रा और कानून की जानकारी के अभाव में दुकानदारों के जाल में फंस जाते हैं। सवाल करने पर उन्हें धमकाने वाले लहजे में कहा जाता है, “यही बॉर्डर रेट है, लेना है तो लो।” आबकारी और खाद्य विभाग की जांच केवल दिखावा है। सवाल यह है कि जब नियम किताबों में हैं, तो जमीन पर गायब क्यों हैं?
प्रशासन की चुप्पी मिलीभगत या मजबूरी?
सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या यह सब प्रशासनिक संरक्षण में हो रहा है? क्या आबकारी विभाग को दोहरी MRP दिखाई नहीं देती? क्या स्थानीय प्रशासन नेपाली नागरिकों का शोषण नहीं देखता? यदि जवाब “नहीं” है, तो फिर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही?










