
भास्कर ब्यूरो
फरेंदा, महराजगंज। जिले में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां पर एक शिक्षक अपने पिता की मृत्यु के बाद हाथ में तीर लोटा लेकर डिजिटल लिटरेसी कोडिंग ट्रेंनिंग में पहुंच गया। इस दृश्य को देखकर वहां मौजूद लोग सकते में आ गए। प्रशिक्षकों ने उन्हें ट्रेनिंग में शामिल होने से रोकते हुए वापस घर भेज दिया।
शिक्षक ने बताया की परंपराओं के अनुसार 16 दिन तक शुद्धिकरण प्रक्रिया में गुजर रहा है जिसमें तीर और लौटाया का उपयोग होता है । दरअसल जिला शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान डाइट में चल रही डिजिटल लिटरेसी कोडिंग ट्रेंनिंग में बुधवार की सुबह का दृश्य देखकर लोग सकते में आ गए। फरेंदा ब्लॉक के कंपोजिट विद्यालय निरमान पश्चिम में तैनाश शिक्षक राम जी विश्वकर्मा अपने पिता के निधन के कारण हाथ में तीर और लोटा लेकर प्रशिक्षण लेने पहुंचे उनकी स्थिति में प्रशिक्षण में आने से वहां मौजूद लोग सकते में पड़ गए उन्हें ट्रेनिंग में सम्मिलित होने से रोकते हुए वापस घर भेज दिया।
शिक्षक राम जी विश्वकर्मा ने बताया कि बीते शनिवार को पिता का देहांत हो गया उन्होंने खंड शिक्षा अधिकारी से अवकाश के लिए अनुरोध किया उन्हें बताया गया कि वह क्रिटिकल लीव ले सकते हैं जिनकी वार्षिक सीमा 14 दिन होती है। इस अवकाश का वह पहले भी उपयोग कर चुके थे मेडिकल लीव लेने के लिए भी प्रयास सफल नही रह, क्योंकि वह पूरी तरह से स्वस्थ थे ऐसे में उच्च अधिकारियों के आदेश के तहत उन्हें ट्रेनिंग में उपस्थित होना अनिवार्य समझा और तीर और लोटा लेकर बुधवार को डाइट पहुंच गए।
परंपराओं के अनुसार पिता की मौत के बाद पुत्र को 16 दिन तक शुद्धिकरण प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, जिसमें तीर और लोटा का उपयोग होता है। इसी वजह से शिक्षक राम जी विश्वकर्मा इन वस्तुओं के साथ प्रशिक्षण स्थल पहुंचे। अधिकारियों ने जब यह देखा तो उन्हें प्रशिक्षण में शामिल होने से रोक दिया और वापस भेज दिया। इनकी जगह दूसरे अध्यापक को ट्रेनिंग के लिए नियुक्त कर दिया गया है, लेकिन इस घटना के बाद शिक्षक समुदाय में बहस छिड़ गई है कि शादी या मृत्यु जैसी पारिवारिक परिस्थितियों में विशेष अवकाश की व्यवस्था होनी चाहिए।