
महराजगंज : कभी शहर में गांव का नाम शामिल होते ही मन में खुशियां तैर जाती थीं। बच्चों की किलकारियां घर-आंगन में गूंज उठती थीं। ग्रामीणों में उम्मीद बनी थी कि अब शहर उनका घर होगा और शहर की हर सुविधा उन्हें मयस्सर होगी। बच्चों की पढ़ाई भी कॉन्वेंट स्कूलों में होगी। यही सोचकर लोगों ने जीवन का ताना-बाना बुनना शुरू कर दिया था। लेकिन उन्हें क्या पता था कि वे न घर के हुए, न घाट के।
नगर पालिका महराजगंज के लोग दोराहे पर खड़े हैं। नगर पालिका के लोगों को हुई यह बात चुभ रही है। चुनाव के दौरान प्रतिनिधियों ने बड़े-बड़े वादे किए थे, लेकिन वे कहीं से भी कसौटी पर खरे नहीं उतरे। यहां के लोगों को शहर में रहने के बाद भी शहरी जीवन का तनिक भी एहसास नहीं है। नाली, इंटरलॉकिंग, शुद्ध पानी सहित तमाम सुविधाएं अभी तक मयस्सर नहीं हुई हैं।

नगर पालिका क्षेत्र में वर्ष 2020 में शामिल किए गए कई गांवों के निवासियों में विकास को लेकर उत्साह था, लेकिन समय बीतने के साथ ये उम्मीदें मंद पड़ती गईं। इन गांवों को बेहतर सड़कें, जल आपूर्ति, सफाई व्यवस्था और स्वास्थ्य सेवाओं की उम्मीद थी, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है।
जिले के ग्राम पंचायतों को 31 मार्च 2020 को नगरपालिका महराजगंज में सम्मिलित किया गया। नगर पालिका परिषद महराजगंज में 23 वार्ड थे। बाद में सम्मिलित गांवों को मिलाकर कुल वार्डों की संख्या 25 कर दी गई।
सीमा विस्तार के बाद नगर क्षेत्र में चौपरिया, महुअवा, तरकुलवा, बांसपार बैजौली का कुटिया व बेलहिया टोला, अंसारी टोला, पिपरा बाबू, पासी टोला, केवटहिया, सुकठिया, धनेवा-धनेई, मंगलपुर और गबड़ुआ गांव व टोले शामिल किए गए। विस्तारित क्षेत्र की कुल आबादी लगभग 69 हजार है।
ऊबड़-खाबड़ सड़कें बनीं नपा की पहचान
दैनिक भास्कर महराजगंज की टीम ने आदर्श नगरपालिका परिषद महराजगंज में शामिल धनेवा-धनेई टोला और गबड़ुआ की पड़ताल की। टूटी हुई सड़कें, नालियों में बिखरे कूड़े का अंबार चारों ओर नजर आया।
दैनिक भास्कर को मो. आजम उर्फ अज्जू, सहद अली, फखरूद्दीन, सरवर आलम, गोविंद गुप्ता और अकरम ने बताया कि पहले यह एक गांव था, जहां हर सुविधा मिलती थी। मकान व शौचालय बनते थे, मनरेगा में रोजगार मिलता था, नालियां साफ होती थीं, सड़कों की मरम्मत कराई जाती थी। गांव के विकास के लिए बजट भी मिलता था, लेकिन अब यह सब गुजरे जमाने की बातें हो गई हैं।
अब हम केवल एक वार्ड हैं, लेकिन शहर में रहने का तनिक भी एहसास नहीं होता।
क्या कहते हैं ईओ साहब
दैनिक भास्कर के सवाल पर अधिशासी अधिकारी आलोक कुमार मिश्रा कहते हैं कि शासन से अभी तक इन वार्डों के विकास के लिए कोई बजट नहीं मिला है, इस कारण वहां का त्वरित विकास नहीं हो पा रहा है। फिर भी प्रयास किया जा रहा है कि नपा में शामिल गांवों में मूलभूत सुविधाएं मयस्सर कराई जा सकें।
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