
पनियरा, महराजगंज। पनियरा विकास खंड का एक गांव पूरे जिले में सुर्खियां बटोर रहा है।यहां किसान आत्महत्या मामले में पूरा सिस्टम सवालों के घेरे में फंस गया है। गोनहा गांव में, कर्ज के बोझ से दबे होने पर, किसान ने आत्महत्या कर ली। साथ ही, सरकारी आमजनों के लिए संचालित योजनाओं का पोल खोल कर रख दिया है।
उल्लेखनीय है कि ग्राम सभा के निवासी, एक 62 वर्षीय दलित गरीब किसान, उसके चार बेटे, तीन बहुएं, और चार छोटे-छोटे बच्चे, एक अर्धनिर्मित छोटे से मकान में अपना गुजर-बसर कर रहे थे। एक टूटी-फूटी मकान में, दलित किसान किसी तरह अपनी जिंदगी की जंग लड़ रहा था। जिला प्रशासन का दावा है कि, हर वर्ष, जिनके पास आवास की समस्या है, उन्हें चयन कर मकान उपलब्ध कराए जा रहे हैं। आत्महत्या को गले लगाने वाले दलित किसान के पास आवास एक बड़ी समस्या थी। यह तो जिम्मेदार अधिकारी ही बता पाएंगे कि, प्रधानमंत्री आवास क्यों नहीं मिला। लेकिन परिवार के हालात देखकर, अंदाजा लगाया जा सकता है कि, दलित किसान कैसे अपनी जीवन से जंग लड़ रहा था।
बता दें कि सूर्यनाथ ने यूपी बड़ौदा यूपी बैंक की गांगी बाजार शाखा से, केसीसी के तहत 2022 में, 75 हजार रुपये का कर्ज लिया। छोटे बेटे, शक्तिमान का ऑपरेशन कराया। पैसा कम पड़ने पर, सारा खेत, गांव के एक के हाथ गिरवी रखकर, पैसा लिया। सारा खेत बंधक होने के कारण, परिवार में भूखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। ऊपर से, बैंक कर्मियों का दबाव, उनकी बहू ने भी, स्वयं सहायता समूह से, लगभग 65 हजार रुपये का कर्ज ले कर, कुछ खेत छुड़ा लिया। पर हर माह, समूह के एजेंट, लगातार, दोनों कर्ज की वसूली को लेकर दबाव बना रहे थे। बैंक कर्मियों और सहायता समूह के बर्ताव से व्यथित होकर, सूर्यनाथ ने, पिछले रविवार की रात, फांसी लगाकर जान दे दी। उक्त मामले में, कोई भी जिम्मेदार अधिकारी, कुछ भी बोलने से परहेज़ कर रहा है।
एक राशनकार्ड भी नहीं बना पाए जिम्मेदार
सरकार की ओर से, सभी गरीब पात्रों को, हर माह राशन मुहैया कराया जा रहा है। और, हर साल, प्रधानमंत्री आवास भी दिया जा रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि, गरीब दलित सूर्यनाथ प्रसाद को, एक राशनकार्ड क्यों नहीं मिला? गांव के कुछ लोगों का कहना है कि, गरीब दलित किसान, राशनकार्ड के लिए कई बार जिम्मेदारों का दरवाजा खटखटाया, मगर सब कुछ फिसल गया। यह घटना, न सिर्फ एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था और कर्ज नीति पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है।
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