
महराजगंज में निजी स्कूलों की मनमानी से अभिभावक परेशान हैं, जहां छात्रों के पाठ्यक्रम में किताबों की संख्या और कीमतों में भारी अंतर देखा जा रहा है। कक्षा एक में कुछ स्कूलों में सात से दस किताबें पढ़ाई जा रही हैं, और इन किताबों की कीमतें भी डेढ़ गुना तक बढ़ गई हैं। महंगी किताबें खरीदने की मजबूरी के कारण अभिभावकों को आर्थिक बोझ का सामना करना पड़ रहा है।
किताबों की कीमतों में भारी अंतर
जिला भर के स्कूलों में किताबों की कीमतों में जबरदस्त भेद है। उदाहरण के तौर पर, नर्सरी की किताबों की कीमत 950 से लेकर 1315 रुपये तक है, जबकि कक्षा 1 से 3 तक की किताबें 2000 से 3300 रुपये तक बिक रही हैं। वहीं, कक्षा 4 और 5 की किताबें 3500 से 4080 रुपये तक हैं, और कक्षा 6 से 8 तक के लिए ये कीमतें 4000 से 5250 रुपये तक पहुंच रही हैं। यह भारी अंतर अभिभावकों के लिए चिंता का विषय बन गया है।
पुस्तक विक्रेताओं से कनेक्शन और कमीशन का खेल
स्थानीय दुकानदारों से बातचीत करने पर यह खुलासा हुआ कि कई निजी स्कूल ऐसे हैं, जो विशेष पुस्तक विक्रेताओं से ही किताबें खरीदने का निर्देश देते हैं। कई स्कूल तो खुद ही अपनी किताबें बेचते हैं, और अभिभावकों को उनकी दुकान से ही किताबें खरीदने की पर्ची देते हैं। यह पूरा मामला कमीशन के खेल से जुड़ा हुआ है, जहां जो विक्रेता ज्यादा कमीशन देता है, वही किताबें स्कूल में सप्लाई करता है।
अभिभावकों की प्रतिक्रिया
अभिभावक लगातार बढ़ती किताबों की कीमतों से परेशान हैं। समसेर, एक अभिभावक ने कहा, “हर साल किताबों की कीमतों में इजाफा हो जाता है। स्कूलों द्वारा मनमर्जी से किताबें बढ़ा दी जाती हैं। शिक्षा का खर्च बढ़ता जा रहा है, जिस पर रोक लगनी चाहिए।” वहीं, अनिल कुमार ने बताया, “हर साल बच्चों की पढ़ाई पर भारी खर्च हो जाता है। किताबें महंगी हो गई हैं, और इसके साथ ही स्कूलों के शुल्क भी बढ़ते जा रहे हैं।”
शिक्षा के नाम पर व्यापार
शहर में शिक्षा के नाम पर एक तरह से व्यापार का माहौल बन गया है। निजी स्कूलों की किताबों के मूल्य में इस साल 25 से 30 प्रतिशत तक का इजाफा किया गया है। इससे अभिभावकों की कमर टूट गई है और उन्हें हर साल बड़ी रकम खर्च करनी पड़ रही है। शिक्षा की महंगी होती कीमतों से आम आदमी परेशान है।
डीआईओएस का बयान
डीआईओएस प्रदीप शर्मा ने कहा, “अगर कोई स्कूल अभिभावकों को किसी विशेष पुस्तक विक्रेता से किताबें खरीदने का निर्देश देगा और शिकायत मिलेगी, तो हम तुरंत जांच कर सख्त कार्रवाई करेंगे।”
आरटीई में प्रवेश में समस्या
वहीं, महराजगंज के एक प्रतिष्ठित निजी स्कूल में आरटीई (शिक्षा का अधिकार अधिनियम) के तहत प्रवेश के लिए चयनित बच्चों के अभिभावकों को एडमिशन में भारी दिक्कतें आ रही हैं। अभिभावकों का कहना है कि जब वे स्कूल में एडमिशन के लिए जाते हैं, तो स्कूल प्रबंधक कहते हैं कि शिक्षा विभाग से आरटीई प्रवेश के बारे में पत्र नहीं आया है। जब पत्र मिलेगा, तब अभिभावकों को बुलाया जाएगा। इस कारण अभिभावकों में घोर असमंजस और तनाव की स्थिति बन गई है।
इस मुद्दे पर स्थानीय प्रशासन और शिक्षा विभाग को गंभीर कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि बच्चों की शिक्षा का बोझ कम किया जा सके और अभिभावकों को राहत मिल सके।