
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ मेले के दौरान पूर्णिमा स्नान से पहले जिले की सीमाओं पर भीषण जाम लग गया है। अनुमान से अधिक श्रद्धालु पहुंचने के कारण ट्रैफिक व्यवस्था बिगड़ गई है। श्रद्धालुओं को 15 से 20 किलोमीटर पैदल चलने की नौबत आ रही है। प्रयागराज में आज भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी है और लाखों लोग त्रिवेणी स्नान के लिए पहुंच रहे हैं। अब तक 60 लाख से अधिक श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा चुके हैं। कुछ श्रद्धालुओं को 30 किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ा है, हालांकि बावजूद इसके, अधिकांश लोग योगी सरकार की व्यवस्थाओं से संतुष्ट हैं और उनकी तारीफ कर रहे हैं।
वहीं, जबलपुर में भी स्थिति खराब है। कुंभ जाने के लिए हजारों श्रद्धालु लंबे जाम में फंसे हुए हैं। NH 7 पर कई किलोमीटर तक लंबा जाम लगा हुआ है, और पनागर से सिहोरा तक चारपहिया वाहनों की लंबी कतारें हैं। कुछ श्रद्धालु 48 घंटों से जाम में फंसे हुए हैं, और ढाबों में भी भारी भीड़ है, जिससे खाने-पीने की चीजें खत्म हो गई हैं।
प्रयागराज से दिल्ली तक का सफर अब सामान्य समय से काफी अधिक लग रहा है। दिल्ली का सफर 12 घंटे में तय होता था, अब यह 30 घंटे में पूरा हो रहा है। अन्य शहरों से आने-जाने वाले यात्रियों को भी अधिक समय लग रहा है, जैसे सतना से 5 घंटे का रास्ता अब 15 घंटे में पूरा हो रहा है।
प्रयागराज जाने वाले रास्तों पर जाम की स्थिति है। लखनऊ से प्रयागराज जाते समय कई किलोमीटर तक जाम लगा है, कानपुर और वाराणसी के रास्तों पर भी वाहन रेंगते हुए बढ़ रहे हैं। मध्य प्रदेश के कटनी और रीवा से भी भारी जाम की खबरें हैं।
मीरजापुर के जिलाधिकारी प्रियंका निरंजन ने ट्रैफिक व्यवस्था को संभालने के लिए खुद सड़क पर उतरकर अधिकारियों को तैनात किया है। 24 घंटे के अंदर 5 लाख से ज्यादा वाहनों का आवागमन हुआ है और 6 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने मां विंध्यवासिनी का दर्शन किया है। हालांकि, इस व्यवस्था के बावजूद श्रद्धालुओं में उत्साह देखने को मिल रहा है।
इस बीच, समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने आरोप लगाया है कि महाकुंभ में अव्यवस्था के कारण प्रयागराज में खाद्यान्न, दवाइयां, पेट्रोल-डीजल, और अन्य जरूरी वस्तुएं उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जाम में फंसे श्रद्धालुओं की हालत लगातार बदतर होती जा रही है। अखिलेश ने सोशल मीडिया पर लिखा कि श्रद्धालु घंटों अपनी गाड़ियों में फंसे हुए हैं और महिलाओं के लिए कोई जगह नहीं है। कई लोगों के मोबाइल की बैटरियां खत्म हो गई हैं, जिससे वे अपने परिजनों से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं। इस स्थिति में किसी जिम्मेदार मंत्री का नजर नहीं आना, उनकी नाकामी का प्रतीक है।
उन्होंने यह भी कहा कि जिन अधिकारियों को धरातल पर काम करना चाहिए था, वे अपने कमरों में बैठे आदेश दे रहे हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई सुधार नहीं दिख रहा है।