लविवि : भारतीय प्राणीशास्त्र कांग्रेस और आईएलएसएसडी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ

  • जैव विविधता, जलवायु परिवर्तन, पर्यावरणीय स्वास्थ्य पर चर्चा, समारोह में प्रो. बीएन पांडे को प्रो. हर्षव्रप

लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय के प्राणीशास्त्र विभाग ने 36वीं अखिल भारतीय प्राणीशास्त्र कांग्रेस तथा “इनोवेशन इन लाइफ साइंसेज़ फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट: बायोडायवर्सिटी, एनवायरनमेंट, हेल्थ एंड फूड सिक्योरिटी (ILSSD-2025)” अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ किया। समारोह में प्रो. बी. एन. पांडे को प्रो. हर्षव्रप फाउंडेशन द्वारा उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए जेडएसआई पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

24 से 26 अप्रैल तक आयोजित यह तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय आयोजन, भारत सहित अमेरिका, यूरोप (डेनमार्क, फ्रांस, जर्मनी, चेक गणराज्य) और एशिया (इंडोनेशिया, ताइवान, मलेशिया, नेपाल, बांग्लादेश, अबू धाबी) के 500 से अधिक प्रतिभागियों की उपस्थिति में संपन्न हो रहा है।

सम्मेलन को आठ प्रमुख क्षेत्र में विभाजित किया गया है, जिनमें जैव विविधता, पारिस्थितिकी तंत्र पुनर्स्थापन, जलवायु परिवर्तन, सतत कृषि, पर्यावरणीय स्वास्थ्य, संरक्षण जीवविज्ञान, खाद्य सुरक्षा, और अंतःविषयी नवाचार जैसे विषयों पर गहन चर्चा की जा रही है।

उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय ने की। उन्होंने प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए लखनऊ विश्वविद्यालय की वैज्ञानिक शोध व सतत विकास के प्रति प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। उन्होंने विगत वर्षों में लखनऊ विश्वविद्यालय की उपलब्धियों, विभिन्न रैंकिंग और विभिन्न शोध कार्यों के बारे में भी बताया।

मुख्य अतिथि पद्म प्रो. आर. सी. सोबती, जो दो विश्वविद्यालयों के पूर्व कुलपति रह चुके हैं, ने अपने संबोधन में पर्यावरण, पशु और मानव स्वास्थ्य के बीच के अंतर्संबंधों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया। विशिष्ट अतिथि प्रो. नईम अख्तर खान (यूनिवर्सिटी ऑफ बर्गंडी, फ्रांस) ने सतत विकास हेतु अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया।

अन्य विशिष्ट अतिथियों में प्रो. शीला मिश्रा, डीन, विज्ञान संकाय; प्रो. बी. एन. पांडे, अध्यक्ष, जूलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया (ZSI), गया; प्रो. एम. सिराजुद्दीन, विभागाध्यक्ष, प्राणीशास्त्र विभाग; प्रो. अमिता कनौजिया, एवं प्रो. कमल जायसवाल, महासचिव, जूलॉजिकल साइंस कांग्रेस शामिल थे। सम्मेलन के संयोजक प्रो. पांडे, प्रो. सिराजुद्दीन एवं प्रो. कनौजिया हैं, जबकि प्रो. मोनिषा बनर्जी और प्रो. शेली मलिक आयोजन सचिव, तथा डॉ. कल्पना सिंह और डॉ. राजेश खरवार सह-सचिव की भूमिका निभा रहे हैं।

वैश्विक वैज्ञानिकों द्वारा प्रस्तुत प्रमुख व्याख्यान में

प्रो. नईम अख्तर खान (फ्रांस) – “द टेस्ट फॉर डायटरी फैट एंड ओबेसिटी”, डॉ. उलरिच बर्क (जर्मनी) – “अग्निहोत्र एवं होमा ऑर्गेनिक फार्मिंग – पृथ्वी पर सतत विकास के उपकरण”, डॉ. हरि प्रसाद शर्मा (नेपाल) – “शिकार प्रजातियों और मानव क्रियाओं की प्रतिक्रिया में बड़े शिकारी जीवों की स्थानिक-कालिक प्रवृत्तियाँ”, प्रो. हमीदा खानम (बांग्लादेश) – “रोहिंग्या शरणार्थी शिविरों में मलेरिया की महामारी विज्ञान”, युवा वैज्ञानिकों के लिए श्रेष्ठ शोध पत्र पुरस्कार प्रस्तुति भी इस सत्र का मुख्य आकर्षण रही, जो नवोदित शोधकर्ताओं को प्रोत्साहित करती है।

द्वितीय सत्र में प्रो. बी. डी. जोशी (हरिद्वार), प्रो. संगीता माशी (शहडोल), बी. प्रभाकर, डॉ. लुह पुत्र एसवार्यंती कुसुमा युनी (इंडोनेशिया), डॉ. शकील अहमद (अबू धाबी), इन व्याख्यानों ने जीवन विज्ञान के विविध एवं अंतःविषयी पहलुओं को उजागर किया।

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