
Lucknow : भारत निर्वाचन आयोग ने उत्तर प्रदेश में विशेष प्रगाढ़ पुनरीक्षण (एसआईआर) कार्यक्रम की शुरुआत कर दी है। इसके साथ ही उप्र के मतदाताओं में एक आशंका गहराने लगी है कि क्या उनका नाम मतदाता सूची में रहेगा या हटेगा? दरअसल, 2003 पुनरीक्षण में जिसका नाम है, उसके साथ तो कोई समस्या नहीं होगी लेकिन बाद के मतदाताओं को प्रमाणित करना होगा कि वो यूपी के वास्तविक मतदाता हैं। अगर संबंधित दस्तावेज पेश करने में नाकाम रहे तो क्या होगा? वैसे चुनाव आयोग ने इन आशंकाओं को खारिज किया है विस्तार से स्थिति स्पष्ट की है।
बता दें कि इस कार्यक्रम के तहत उप्र के सभी मतदाता सूची को अद्यतन और प्रमाणित करने की विस्तृत प्रक्रिया 27 अक्टूबर 2025 से प्रारंभ की गई है। यूपी के मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा ने बताया कि यह पुनरीक्षण अभियान चुनावी पारदर्शिता और मतदाता सूची की शुद्धता सुनिश्चित करने की दिशा में एक अहम कदम है। उन्होंने बताया कि इस अभियान में बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) अपने-अपने मतदेय स्थलों पर जाकर प्रत्येक मतदाता से व्यक्तिगत संपर्क करेंगे और गणना प्रपत्र दो प्रतियों में उपलब्ध कराएंगे। बीएलओ कम से कम तीन बार घर-घर जाकर यह प्रपत्र वितरित और एकत्र करेंगे ताकि किसी मतदाता का नाम छूट न जाए।
गणना प्रपत्र में मतदाता का नाम, एपिक संख्या, भाग संख्या, क्रम संख्या, विधानसभा का नाम और फोटो पहले से ही भरे होंगे। मतदाता चाहें तो अपना नवीनतम पासपोर्ट आकार का फोटो भी प्रपत्र पर चस्पा कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, मतदाता को अन्य आवश्यक विवरण भरने होंगे, जिनमें 2003 की विशेष प्रगाढ़ पुनरीक्षण मतदाता सूची से संबंधित प्रविष्टियां भी शामिल होंगी।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि यदि किसी मतदाता को प्रपत्र भरने में कठिनाई होती है, तो वह बीएलओ की सहायता ले सकता है। मतदाता अपने नाम या संबंधी के नाम को भारत निर्वाचन आयोग के पोर्टल http://voters.eci.gov.in/ पर जाकर 2003 की मतदाता सूची में देख सकता है। यदि स्वयं का नाम उस सूची में नहीं है, तो संबंधी के नाम के आधार पर भी विवरण भरा जा सकता है।
गणना प्रपत्र भरने के बाद मतदाता को उस पर स्वयं हस्ताक्षर या किसी वयस्क संबंधी के हस्ताक्षर करवाने होंगे। हस्ताक्षरित प्रपत्र की एक प्रति बीएलओ को दी जाएगी और दूसरी प्रति पावती के रूप में मतदाता को लौटाई जाएगी। इस प्रक्रिया के दौरान मतदाताओं को कोई दस्तावेज देने की आवश्यकता नहीं है।
जिन मतदाताओं ने सही-सही विवरण भरकर बीएलओ को प्रपत्र सौंप दिए होंगे, उनके नाम आलेख्य मतदाता सूची (ड्राफ्ट रोल) में सम्मिलित किए जाएंगे। वहीं, जिनका विवरण पिछले पुनरीक्षण से मेल नहीं खाएगा, उन्हें संबंधित विधानसभा क्षेत्र के निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (ERO) द्वारा सुनवाई के लिए नोटिस भेजा जाएगा।
सुनवाई के दौरान मतदाता को अपनी पहचान सिद्ध करने हेतु निम्न में से कोई एक दस्तावेज प्रस्तुत करना होगा….
- सरकारी या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम का पहचान पत्र या पेंशन भुगतान आदेश।
-01 जुलाई 1987 से पूर्व जारी कोई सरकारी प्रमाणपत्र या अभिलेख, - जन्म प्रमाणपत्र, पासपोर्ट, शैक्षणिक प्रमाणपत्र,
-स्थायी निवास प्रमाणपत्र, वन अधिकार प्रमाणपत्र, जाति प्रमाणपत्र, - राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (जहां अस्तित्व में हो),
- परिवार रजिस्टर या भूमि/मकान आवंटन प्रमाणपत्र आदि।
श्री रिणवा ने बताया कि निर्वाचक नामावली का आलेख्य प्रकाशन 9 दिसंबर 2025 को किया जाएगा। इसके बाद दावे और आपत्तियां 9 दिसंबर 2025 से 8 जनवरी 2026 तक दाखिल की जा सकेंगी।
दावे और आपत्तियों पर निर्णय के लिए पहली अपील जिला मजिस्ट्रेट के पास होगी, जबकि उनके निर्णय के विरुद्ध मुख्य निर्वाचन अधिकारी के समक्ष दूसरी अपील की जा सकेगी। इस पूरी प्रक्रिया के बाद अंतिम निर्वाचक नामावली का प्रकाशन 7 फरवरी 2026 को किया जाएगा।










