लखनऊ: निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारियों की अनशन शक्ति भवन में जारी

लखनऊ। विद्वयुत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर बिजली के निजीकरण के विरोध में कर्मचारी आंदोलन की राह पर है। संयुक्त संघर्ष समिति के अगुवाई में कर्मचारी शुक्रवार (2 मई) से 07 दिन तक प्रदेश की राजधानी लखनऊ में शक्ति भवन पर क्रमिक अनशन पर बैठेंगे। निजीकरण की दृष्टि से बड़े पैमाने पर सभी विद्युत वितरण निगमों से संविदा कर्मियों को हटाए जाने का आदेश तत्काल वापस लेने की मांग कर कर्मचारी सभी जिलाें में विरोध सभा कर जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन देंगे।

संघर्ष समिति के स्थानीय पदाधिकारियों के अनुसार आज दो मई को संघर्ष समिति के घटक संगठनों के केंद्रीय पदाधिकारी और आम बिजली कर्मी अनशन पर बैठे है। उनके समर्थन में उत्तराखंड के बिजली कर्मचारी और अभियंता भी सम्मिलित होंगे। तीन मई को केस्को और कानपुर क्षेत्र के बिजली कर्मी, चार मई को दक्षिणांचल के बिजली कर्मी, पांच मई को पूर्वांचल के बिजली कर्मी, छह मई को परियोजनाओं के बिजली कर्मी, सात मई को मध्यांचल के बिजली कर्मी और आठ मई को पश्चिमांचल के बिजली कर्मी क्रमिक अनशन में भाग लेंगे। लखनऊ के बिजली कर्मी प्रतिदिन अनशन में रहेंगे। प्रत्येक दिन अन्य प्रांतों के बिजली कर्मी भी समर्थन में क्रमिक अनशन में शामिल होंगे।

समिति के स्थानीय ई.मायाशंकर तिवारी, अंकुर पांडेय, प्रशांत कुमार ने बताया कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में विगत पांच महीने से बिजली महा पंचायत, विरोध सभाओं और लखनऊ में विशाल रैली के माध्यम से सरकार का ध्यान आकर्षण करने के बाद बिजली कर्मियों ने आंदोलन प्रारंभ कर दिया है।

इस क्रम में मजदूर दिवस पर बीते गुरूवार को सैकड़ों बिजली कर्मियों ने बाइक रैली निकाल आंदोलन में भाग लिया। जिसमें बड़ी संख्या में अवर अभियंता जूनियर इंजीनियर संगठन के बैनर तले संघर्ष समिति से जुड़े बिजली कर्मियों ने भी भाग लिया। बाइक रैली का नेतृत्व ई. अविनाश कुमार, ई0 नरेंद्र वर्मा आदि ने किया। रैली के बाद सिगरा स्थित भारत माता मंदिर परिसर में कश्मीर पहलगाम आंतकी हमले में शहीद नागरिकों को श्रद्धांजलि दी गई।

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