
Lucknow: प्रदेश की विद्युत व्यवस्था के सुचारू संचालन के लिए बिजली वितरण कम्पनियों द्वारा प्रत्येक वर्ष अपना लेखा-जोखा अर्थात आय-व्यय नियामक आयोग को प्रस्तुत किया जाता है। नियामक आयोग द्वारा परीक्षण के बाद ही निर्धारित मानक के अनुरूप विद्युत दरें टैरिफ निर्धारित की जाती हैं।
बिजली विभाग के दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम व पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम कंपनियों के निजीकरण को लेकर उठ रहे शोर के बीच सोमवार को प्रबंधन ने अपनी ओर से सफाई जारी करते हुए कहा कि प्रबंधन किसी के समक्ष फर्जी आंकड़े नहीं देता।
यही आंकड़े कर्मचारी तैयार करते हैं तो फर्जी कैसे हुए। परीक्षण के बाद विद्युत दरें तय की जाती है। घाटे की भरपायी के लिए कड़े निर्णय लेना जरूरी है जिससे कि निर्बाध रूप से बिजली मिलती रहे और उतनी मंहगी भी न हो। विद्युत की दरें तय करते समय नियामक आयोग द्वारा कलेक्शन एफिशियेन्सी को सौ प्रतिशत माना जाता है अर्थात आयोग मानता है कि जो भी विद्युत बिल उपभोक्ताओं को दिया जाता है उसके सापेक्ष पूरी धनराशि विभाग द्वारा वसूल कर ली जाती है। वास्तव में अपवादों को छोड़ कर जितनी बिजली का बिल उपभोक्ताओं को दिया जा रहा है उसके सापेक्ष पूरी वसूली नही हो पा रही है।
विद्युत दरों को तय करने के लिए 100 प्रतिशत कलेक्शन एफिशियेन्सी मानना पूर्णतः अव्यवहारिक है। वितरण क्षेत्र में सुधार के लिए पावर कारपोरेशन ने 10 वर्षों में 70,792 करोड़ का निवेश इन्फ्रास्ट्रेक्चर बनाने में तथा उपभोक्ता सेवा सुधार में खर्च किये गये परन्तु कार्मिकों एवं अधिकारियों द्वारा प्रयास किये जाने पर भी निवेश के सापेक्ष आपेक्षित सफलता नही मिल पायी है। निरन्तर विद्युत बिल वसूली अभियान चलाने के बाद भी 54 लाख से अधिक उपभोक्ताओं ने बिजली बिल का भुगतान न करने से इन सभी उपभोक्ताओं पर 36,353 करोड़ बकाया है। 78 लाख से अधिक लोगो ने पिछले 6 माह से बिजली बिल का भुगतान नही किया है। इन पर भी 36,117 करोड़ बिजली का बिल बकाया है।
इस कारण से राजस्व वसूली आशा के अनुरूप नहीं हो पा रही है व कारपोरेशन का घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है। मार्च 2024 के आडिटेड अकाउण्ट के आधार पर पावर कारपोरेशन और डिस्कॉम की संकलित हानियॉ रूपये एक लाख दस हजार करोड़ को पार कर गयी हैं। वित्तीय वर्ष 2025.26 के लिए यह कैशगैप लगभग 54,530 करोड़ रहने का अनुमान है। इस प्रकार पावर कारपोरेशन की वित्तीय स्थिति प्रति वर्ष खराब होती जा रही है। कोई भी सरकार इतने बड़े वित्तीय घाटे को असीमित समय तक वहन करने में समर्थ नही है।
वित्तीय वर्ष 2024-25 में विद्युत कम्पनियों द्वारा विद्युत बिलों के सापेक्ष वसूली मात्र 88 प्रतिशत हो पायी। वित्तीय वर्ष 2025-26 में भी राज्य सरकार से सब्सिडी मिलने के बाद भी यह घाटा बढ़कर 19,600 करोड़ होने की सम्भावना है। इसके आधार पर रिपोर्ट नियामक आयोग को प्रस्तुत की जा रही है। इसलिये कारपोरेशन ने व्यापक सुधार प्रक्रिया शुरू कर दी है। जिससे एक ओर आम उपभोक्ता को बेहतर विद्युत आपूर्ति मिलेगी तथा टैरिफ वृद्धि से भी बचा जा सकेगा।
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