
यूपी। उत्तर प्रदेश पंचायती राज विभाग ने एक अहम आदेश जारी करते हुए स्पष्ट किया है कि अब ग्राम प्रधानों के खिलाफ शिकायत केवल उसी स्थिति में स्वीकार की जाएगी जब वह शिकायत स्थानीय निवासी द्वारा हस्ताक्षरित प्रपत्र पर प्रस्तुत की जाए।
ग्रामसभा का भी व्यक्ति जो प्रधान की शिकायत कर रहा है अगर वह शिकायत झूठी अथवा फर्जी निकली तो उस व्यक्ति के खिलाफ सुसंगत धाराओ में विधिक कार्यवाही होगी। यह आदेश 10 जुलाई 2025 को पंचायती राज विभाग द्वारा जारी पत्र संख्या-1/1021066/2025 के अनुपालन में दिया गया है,जिसमें ग्राम प्रधान संगठन के प्रदेश अध्यक्ष किशोर पाण्डेय द्वारा भेजी गई शिकायतों की प्रक्रिया पर सवाल उठाए गए थे।

विभाग ने निर्देशित किया है कि बिना स्थानीय निवासी की संलग्नता के प्राप्त शिकायतों को अमान्य माना जाएगा। इसके पीछे तर्क यह है कि फर्जी शिकायतों व द्वेष की भावना से की गई गतिविधियों पर रोक लगाई जा सके।
संयुक्त निदेशक (पंचायती राज), सुरेन्द्र नाथ सिंह द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि ग्राम प्रधानों की शिकायतों को स्वीकृति तभी दी जाएगी जब वह संबंधित ग्राम सभा के निवासी द्वारा हस्ताक्षरित हो और साथ में ठोस प्रमाण संलग्न हों। इस आदेश के बाद अब पंचायत स्तर पर अनुशासन और पारदर्शिता को बढ़ावा मिलने की उम्मीद की जा रही है।
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