
लखनऊ। नगर निगम लखनऊ के जोन 8 में एक और कर निर्धारण घोटाले का मामला सामने आया है। इस बार तेलीबाग स्थित लक्ष्मी टावर कमर्शियल बिल्डिंग पर नगर निगम मेहरबान दिख रहा है। हाल ही में दैनिक भास्कर द्वारा प्रकाशित एक खबर के बाद, नगर निगम ने बिल्डिंग का टैक्स 61,800 रुपये से बढ़ाकर 1,10,711 रुपये कर दिया है। लेकिन सूत्रों के अनुसार, लक्ष्मी टावर का सही कर निर्धारण लगभग डेढ़ लाख रुपये होना चाहिए था।
इस मामले में प्रमुख सवाल यह उठ रहा है कि जोन 8 के अधिकारियों द्वारा कर निर्धारण में किस तरह की अनियमितताएँ की जा रही हैं। विशेष रूप से, लक्ष्मी टावर की स्थिति में, यह टैक्स रिवाइजेशन 2025 से लागू किया गया है, जबकि यह 2022 से होना चाहिए था। बिल्डिंग के मालिकों से मामले को सेटल करने के लिए मोटी रकम लेने की चर्चा भी सामने आई है, जिससे इस मामले में भ्रष्टाचार की आशंका और बढ़ गई है।
लक्ष्मी टावर, जो करीब 4,000 स्क्वायर फीट में फैला हुआ है और चारों फ्लोर पर कमर्शियल गतिविधियाँ चल रही हैं, नगर निगम जोन 8 के आरआई देवी शंकर दुबे द्वारा रिवाइज कर निर्धारण किया गया। सूत्रों का कहना है कि देवी शंकर दुबे ने इस मामले में सरकारी खजाने में चूना लगाने की कोशिश की और इस घोटाले में लगभग 8 अन्य वार्डों के विवादित मामलों का भी हाथ हो सकता है।
विधान सभा के प्रथम सत्र में भी इस मामले को उठाया गया था, लेकिन नगर निगम अधिकारियों द्वारा अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। सूत्रों के अनुसार, देवी शंकर दुबे के पास 8 अन्य “मलाईदार” वार्ड भी हैं और वह इन वार्डों में लगभग 60 प्राइवेट लड़कों के माध्यम से धन उगाही कर रहे हैं।
नगर निगम में इस तरह के घोटाले रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं, और अब देखना यह है कि क्या प्रशासन इस मामले में जांच करेगा और दोषियों पर कार्रवाई करेगा।