
Seema Pal
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के अर्जुनगंज में स्थित एक ऐसा मंदिर है जहां, नवरात्रि में भक्तों की काफी भीड़ लगती है। इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां पर एक भी मूर्ति नहीं है। जी हां, इस मंदिर में बिना मूर्ति के ही माता की पूजा होती है, इसिलए इस मंदिर को मरी माता मंदिर के नाम से जाना जाता है। मंदिर में प्रतिमा न होने के कारण ही इस मंदिर की लोकप्रियता बढ़ जाती है। इस मंदिर में कई चमत्कार होते हैं, माता बिना किसी आधार के ही यहां विरामजमान हैं और अपने भक्तों की मनोकामना पूरी करती हैं।
हमारी दैनिक भास्कर की टीम जब मरी माता मंदिर पहुंची तो पता चला कि मंदिर का निर्माण किसी ने भी नहीं कराया। यह मंदिर अपने आप ही प्रकट हुआ था। तब से ही बिना प्रतिमा के ही यहां पर माता की पूजा हो रही है। भक्त यहां पर मन्नत मांगते हैं और मुराद पूरी होने पर घंटा बांधते हैं।
हमारी टीम ने जब मंदिर के पुजारी सौरभ से मंदिर के स्थापत्य से जुड़े सवाल पूछे तो उन्होंने बताया कि यह मंदिर 100 साल पुराना है। इस मंदिर की स्थापना किसी ने नहीं की, यह अपने आप ही प्रकट हुआ था। यहां पर माता की मूर्ति नहीं है, केवल एक ताखा रखा है, जिसपर अदृश्य रूप में ही माता की पूजा की जाती है। इसी ताखा पर दीपक जलता रहता है। यह मंदिर कभी भी बंद नहीं होता है। मंदिर के द्वार भक्तों के लिए 24 घंटे के लिए खुले रहते हैं। रोजाना सैंकड़ों की संख्या में भक्त यहां आते हैं और माता के दरबार में माथा टेकते हैं।
यहां के श्रद्धालुओं का कहना है कि मरी माता से जो भी मनोकामना मांगी जाती है वह पूरी हो जाती है। मनोकामना पूरी होने के बाद श्रद्धालु माता के दरबार घंटी बांधकर जाते हैं।
मरी माता मंदिर की कथा
इस मंदिर की स्थापना यहां पर सेवा कर रहें सौरभ नाम के युवक के पिता ने की थी। सौरभ ने बताया कि उनके पिता को सपने में एक बार देवी मां ने दर्शन थे और यहां पर एक ताखा बनाने के लिए कहा था। उन्होंने सुबह होते ही सुल्तानपुर-लखनऊ हाईवे पर आकर एक ताखा देवी मां के नाम का बना दिया और इसकी पूजा करने लगे। देखते ही देखते यहां से गुजरने वाले भक्त यहां आने लगे और पूजा करने लगे। हर मुराद पूरी होने पर भक्तों का विश्वास यहां पर बढ़ गया और आज आलम यह है कि एक साल में करीब लाखों लोग यहां पर दर्शन करने आते हैं।