लखनऊ : तहसील से 104 दलित किसानों की पट्टा पत्रावली गायब, किसान परेशान

बीकेटी (लखनऊ): लखनऊ तहसील से 104 दलित किसानों की पट्टा पत्रावली गायब होने का गंभीर मामला सामने आया है, जिससे बीकेटी और सुलतानपुर के किसान गहरे संकट में हैं। यह पट्टा पत्रावली उन्हें 2002 में तत्कालीन जिलाधिकारी नवनीत सहगल के कार्यकाल में भूमिहीन किसानों को सरकार द्वारा आवंटित की गई थी।

2002 में मिले थे पट्टे:

सन 2002 में भूमिहीन किसानों को सरकार ने ज़मीन आवंटित कर पट्टे दिए थे, ताकि वे अपनी आजीविका चला सकें। यह आवंटन तत्कालीन जिलाधिकारी नवनीत सहगल के प्रयासों का परिणाम था।

पत्रावली गायब, किसान अधियारियों के लगा रहे हैं चक्कर:

अब, कई सालों से किसान अपनी पट्टा पत्रावली न मिल पाने के कारण परेशान हैं। वे अपनी ज़मीन पर कानूनी अधिकार साबित करने के लिए तहसील और अन्य सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिल रहा है। पत्रावली गायब होने से किसानों को अपनी ज़मीन पर मालिकाना हक साबित करने में मुश्किल आ रही है, जिससे वे सरकारी योजनाओं का लाभ लेने और ज़मीन संबंधी अन्य कार्य करने में असमर्थ हैं।

जांच की मांग:

किसान इस मामले में उच्च स्तरीय जांच की मांग कर रहे हैं ताकि पत्रावली गायब होने के पीछे के कारणों का पता चल सके और उन्हें जल्द से जल्द उनका हक वापस मिल सके। यह मामला सरकारी तंत्र की लापरवाही और किसानों के प्रति उदासीनता को उजागर करता है।

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