
- प्रो. राजेन्द्र सिंह (रज्जू भय्या) विवि प्रयागराज के नवम् स्थापना दिवस समारोह में ऑनलाइन माध्यम से सम्मिलित हुईं राज्यपाल
Lucknow: प्रदेश की राज्यपाल एवं राज्य विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल आज प्रोफेसर राजेन्द्र सिंह (रज्जू भय्या) विश्वविद्यालय, प्रयागराज के नवम् स्थापना दिवस समारोह में ऑनलाइन माध्यम से सम्मिलित हुईं। समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने विश्वविद्यालय के शिक्षकों, विद्यार्थियों तथा प्रशासन को स्थापना दिवस की बधाई देते हुए कहा कि यह अवसर आत्ममंथन और नव संकल्प का होता है, जहां हम अपनी अब तक की उपलब्धियों का मूल्यांकन करते हुए आगे की दिशा तय करते हैं।
राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के शिक्षकों और विद्यार्थियों द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि यह देखकर अत्यंत प्रसन्नता होती है कि यह विश्वविद्यालय अपने विद्यार्थियों को केवल शैक्षणिक ज्ञान ही नहीं, बल्कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए आवश्यक कौशल, नवाचार और आत्मविश्वास भी प्रदान कर रहा है।
राज्यपाल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा युवाओं की भूमिका को लेकर किए जा रहे आह्वान का उल्लेख करते हुए कहा कि आज हमारे युवा विद्यार्थी जागरूक हैं और समाज की दिशा बदलने की शक्ति रखते हैं। विश्वविद्यालय के विद्यार्थी जब साइकिल यात्राओं के माध्यम से गांव-गांव, दूर-दराज के क्षेत्रों में जाते हैं, तो वे केवल स्थानों की यात्रा नहीं करते, बल्कि लोगों से संवाद स्थापित करते हैं, उनसे सीखते हैं, समाज की जमीनी हकीकत को समझते हैं और जागरूकता का प्रकाश फैलाते हैं।
उन्होंने विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा विकसित भारत विषय पर आयोजित भाषण प्रतियोगिता का भी उल्लेख किया और कहा कि विद्यार्थियों ने जिस गहराई और समझदारी के साथ इस विषय को प्रस्तुत किया, वह उनकी जागरूकता, चिंतन और भविष्य के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को दर्शाता है। राज्यपाल ने समाज में फैली कुरीतियों की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए दहेज प्रथा को एक गंभीर सामाजिक अभिशाप बताया। उन्होंने कहा कि प्रदेश की कई जेलों में ऐसे कैदी हैं जो दहेज उत्पीड़न के मामलों में बंद हैं। अनेक युवतियों को दहेज के कारण सताया जाता है, जलाया जाता है, या मार दिया जाता है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा विद्यार्थियों को जेल भ्रमण कराया जाना एक अत्यंत सराहनीय पहल है, क्योंकि वहां जाकर विद्यार्थी कैदियों से बातचीत करते हैं, उनसे सीखते हैं और यह समझते हैं कि जीवन में कौन से कार्य उन्हें उस स्थिति तक ले जाते हैं।
उन्होंने कहा कि जब वे स्वयं ऐसे विद्यार्थियों से मिलती हैं, जिन्होंने जेल भ्रमण के दौरान यह अनुभव प्राप्त किया है, तो उनके भीतर एक नई सकारात्मकता और संकल्प दिखाई देता है कि वे कभी ऐसा कोई कार्य नहीं करेंगे जो उन्हें जेल की ओर ले जाएं। उन्होंने कहा कि जेलों में लर्निंग भी है अर्निंग भी हैं। बाल विवाह पर अपने विचार व्यक्त करते हुए राज्यपाल ने इसे देश के विकास में एक गंभीर बाधा बताया। उन्होंने कहा कि बाल विवाह न केवल बालिकाओं के अधिकारों का हनन करता है, बल्कि इसके कारण पैदा होने वाले कुपोषित बच्चों के माध्यम से सामाजिक और आर्थिक चुनौतियाँ भी जन्म लेती हैं। उन्होंने कहा कि बाल विवाह की वजह से एक पीढ़ी का स्वास्थ्य, शिक्षा और विकास बाधित होता है। ऐसे में इसे समाप्त करना हम सभी की जिम्मेदारी है।
उन्होंने इस दिशा में विश्वविद्यालय द्वारा किए जा रहे प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा कि आंगनबाड़ी केंद्रों, छोटे बच्चों और बेटियों के पोषण एवं देखभाल के क्षेत्र में विश्वविद्यालय की सक्रिय भागीदारी अत्यंत सराहनीय है। उन्होंने विश्वविद्यालय को इसके लिए बधाई भी दी। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने अपने संबोधन में कहा कि राजभवन का निरंतर प्रयास रहता है कि विभिन्न प्रकार की सकारात्मक प्रवृत्तियों और पहल के माध्यम से विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों और आंगनबाड़ी केंद्रों को जोड़ा जाए, ताकि शिक्षा, सेवा और सामाजिक समर्पण का एक जीवंत तंत्र तैयार हो सके। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों का सीधा लाभ समाज को मिल रहा है।
उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि जब वे विभिन्न जिलों के भ्रमण पर जाती हैं, तो वहां आंगनबाड़ी केंद्रों के छोटे-छोटे बच्चे अत्यंत प्रभावशाली सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ देते हैं, जिनमें आत्मविश्वास, अभिव्यक्ति और संस्कारों का सुंदर संगम दिखाई देता है।
उन्होंने अपने ऑनलाइन संबोधन में विश्वविद्यालय की स्थापना, उसकी कार्यशैली तथा सामाजिक और नैतिक योगदानों की सराहना करते हुए कहा कि प्रयाग की पुण्य भूमि पर स्थित यह विश्वविद्यालय केवल शिक्षा का केंद्र नहीं, बल्कि नैतिक मूल्यों और सामाजिक उत्तरदायित्व का वाहक भी है। उन्होंने विश्वविद्यालय के नामकरण को महान वैज्ञानिक एवं राष्ट्रभक्त प्रो0 राजेन्द्र सिंह रज्जू भय्या के विचारों और मूल्यों की स्थापना की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि केवल ज्ञान देना पर्याप्त नहीं, विद्यार्थियों में ईमानदारी, आत्मसंयम, स्त्री सम्मान, देशभक्ति जैसे नैतिक मूल्यों का बीजारोपण कर उन्हें चरित्रवान नागरिक बनाना भी विश्वविद्यालय की जिम्मेदारी है। राज्यपाल ने विश्वविद्यालयों की भूमिका को राष्ट्र निर्माण का आधार बताते हुए कहा कि यही वे स्थान हैं जहाँ से भारत की नई चेतना, ऊर्जा और नेतृत्व निकलता है।
वर्ष-2047 तक विकसित भारत के निर्माण की अमृतकाल यात्रा में विश्वविद्यालयों को केवल डिग्री देने वाले संस्थान नहीं, बल्कि समाज को दिशा देने वाले, रोजगार सृजन और समस्या समाधान में अग्रणी युवा तैयार करने वाले केंद्र बनना होगा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह विश्वविद्यालय प्राचीन ज्ञान और आधुनिक तकनीक के बीच सेतु बनकर ऐसी पीढ़ी तैयार करेगा जो कुशल होने के साथ-साथ संवेदनशील भी होगी।
इस अवसर पर राजभवन से अपर मुख्य सचिव श्री राज्यपाल डॉ. सुधीर महादेव बोबडे, विशेष कार्याधिकारी शिक्षा डॉ. पंकज एल. जानी, विश्वविद्यालय के कुलपति, डॉ. अखिलेश कुमार सिंह, कुलसचिव, श्री संजय कुमार, अधिष्ठाता कला संकाय, प्रो. विवेक कुमार सिंह, अधिष्ठाता विधि संकाय, प्रो. राजकुमार गुप्त, अधिष्ठाता छात्र कल्याण, प्रो. आशुतोष कुमार सिंह, कार्यपरिषद एवं सभा के सदस्यगण, नैक पियर टीम के सदस्य एवं गणमान्य अतिथिगण, शिक्षक एवं कर्मचारीगण, विद्यार्थी सहित अन्य महानुभाव उपस्थित रहे।
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