
Lucknow : लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) की सरकारी सील का मजाक अब शहरभर में उड़ने लगा है। गोमती नगर के जोन 1 में अवैध निर्माण के हौसले इस कदर बुलंद हैं कि आम लोग कहने लगे हैं, “एलडीए ने सील तो कर दी, पर डील हो गई तो कोई बात नहीं।”
पत्रकारपुरम चौराहे और आसपास के क्षेत्र में स्थित कई इमारतों में कागजों पर सीलिंग की कार्यवाही तो हुई, लेकिन हकीकत में निर्माण जारी है। खास बात यह है कि इन इमारतों के मालिकों ने सरकारी सील को तोड़ कर निर्माण को अंतिम पड़ाव तक पहुंचा दिया है।
जानकारी के मुताबिक, कई व्यावसायिक प्रतिष्ठान बिना पार्किंग की सुविधा वाले आवासीय भूखंडों पर खड़े किए गए हैं, जिससे यातायात व्यवस्था प्रभावित हो रही है। जबकि एलडीए ने कागजों में ध्वस्तीकरण के आदेश जारी किए हैं, लेकिन जमीन पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही।
स्थानीय लोगों और निरीक्षकों का कहना है कि जो जिम्मेदार अवैध निर्माण रोकने के लिए हैं, वही इसके संरक्षण में जुटे हैं। पत्रकारपुरम चौराहे के पास स्थित सील बिल्डिंग में अब नए प्रतिष्ठान का बोर्ड भी लगाया जा चुका है, जो साफ दर्शाता है कि एलडीए के अधिकारियों से हरी झंडी मिल चुकी है।
गोमती नगर के इस मामले ने एलडीए की ईमानदारी और जिम्मेदारी पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सवाल यही है कि आखिर सरकारी सील के बावजूद निर्माण क्यों जारी है और जिम्मेदार इसे रोकने में क्यों नाकाम हैं?










