
- विमल किशोर, इशरत नाहिद और कंचन जायसवाल ने सुनाईं कहानियां
Lucknow : लोकतंत्र, सेकुलर मूल्यों और विचारों की आजादी के लिए यह अत्यंत कठिन दौर है। दकियानूसी और प्रतिगामी मूल्यों को प्रतिष्ठित किया जा रहा है। डॉक्टर आंबेडकर ने भारतीय संविधान के लागू करते समय मनु के शासन की समाप्ति की बात कही थी। आज उसकी वापसी हो रही है। समाज में विभाजन बढ़ा है। नफरत एक मूल्य के रूप में प्रतिष्ठित है।
विचारों की स्वतंत्रता तथा असहमति का स्पेस सिकुड़ गया है। विरोध करने वालों को देशद्रोही कहा जा रहा है। यह सब अब सामान्य सी बात हो गई है। दमन और विभाजन हमारे समय का नया सांस्कृतिक नॉर्मल है।
यह विचार कवि-साहित्यकार और जन संस्कृति मंच (जसम) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कौशल किशोर ने मंच के 40 में स्थापना दिवस के मौके पर जगत नारायण रोड में सईदा निवास आयोजित संगोष्ठी में व्यक्त किये। उन्होंने मंच के 40 साल के इतिहास पर भी अपनी बात रखी और आज के समय में प्रेमचंद और मुक्तिबोध से प्रेरणा लेने की बात कही।
इस मौके पर कहानी पाठ का भी आयोजन हुआ। विमल किशोर ने कहानी ‘खून का फर्क’ का पाठ किया जो पीढ़ियों से हिन्दू मुस्लिम समुदाय के लोगों के सौहार्द, अमन, चैन और सद्भाव से रचे बसे, मोहल्ले शराफत गंज की कहानी है जो देश में सांप्रदायिक सोच की बदलती बयार के कारण बदलते माहौल की चपेट में आ रहा है।
इशरत नाहिद की कहानी ‘गुलची’ पितृसत्तात्मक समाज में उपजे विकृत मानसिकता से ग्रस्त एक ऐसे पुरुष को प्रस्तुत करती है जो अपनी बेटी को भी देह से आगे बढ़कर कुछ नहीं समझ पाता। वह पिता के प्यार की आड़ में उसका शारीरिक और मानसिक शोषण करता है। कहानी बीमारू समाज के मानस को सामने ले आती है।
फैज़ाबाद से आईं कंचन जायसवाल ने ‘हैशटैग रोज’ कहानी सुनाई जिसमें पात्र रोज दुख और परेशानियों को जिंदगी का एक हिस्सा मानती है ना की पूरी जिंदगी। बड़े से बड़े दुख के साथ किक द वरीज का व्यवहार करती है। उसका मोटो ग्रेसफुल जिंदगी जीने का मंत्र देता है। दुख उसके जीवन में भरपूर रहा परंतु उसने दुख को हावी नहीं होने दिया।
इन कहानियों पर डॉ. अमिता यादव ने विचार रखते हुए कहा कि इनमें विषय की विविधता है और समय का यथार्थ व्यक्त हुआ है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कवि व कथाकार डॉ उषा राय ने कहा कि आज़ सांप्रदायिक विभाजन बढ़ा है। मिली जुली संस्कृति खत्म की जा रही है। पितृसत्तात्मक सोच समाज को मानसिक रूप से बीमार बना रहा है। कहानियां मूल्यों की गिरावट को सामने ले आती हैं। उन्होंने तीनों कथाकारों को बधाई दी। सभी का धन्यवाद ज्ञापन जसम की ओर से नगीना निशा ने दिया। कार्यक्रम का संचालन ए कुमार ने किया।










