
- नीली पोशाक में नजर आएंगे युवा, लाठी चलाने में भी बनेंगे माहिर
- छत्रपति साहू, सुहेलदेव राजभर, ज्योतिबा फुले, सावित्रीबाई फुले और भीमराव आंबेडकर के मार्गों पर चलेगी
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में एक नई आरएसएस का जन्म हो गया है। यह हिंदुत्व की विचारधारा से नहीं, बहुजन नायकों की विचारधारा से संचालित होगी। खास बात है कि इसके योजनाकर कोई और नहीं उप्र में कैबिनेट मंत्री ओपी राजभर हैं। यह संगठन बहुजन नायकों छत्रपति साहू, सुहेलदेव राजभर, ज्योतिबा फुले, सावित्रीबाई फुले और भीमराव आंबेडकर के मार्गों पर चलेगी।
राज्य के कैबिनेट मंत्री ओपी राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) ने अपनी विचार इकाई शुरू की है, जिसका नाम है राष्ट्रीय सुहेलदेव सेना (आरएसएस) नाम दिया है। यह संगठन नौजवानों को बहुजन विचार पर शिक्षित करेगा और उन्हें राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से मजबूत करेगा। वो आत्मनिर्भर बनें इस पर भी जोर रहेगा।

एसबीएसपी का लक्ष्य नई पीढ़ी को प्रशिक्षित करना और उन्हें भविष्य के लिए तैयार करना है। इसके लिए, पार्टी ने पूर्वांचल के 22 जिलों में ट्रेनिंग कैंप शुरू करने की योजना बनाई है, जिसे बाद में राज्य के सभी जिलों तक ले जाने की योजना है।
राष्ट्रीय सुहेलदेव सेना की संरचना में जिले के कमांडर, विधानसभा कमांडर, ब्लॉक कमांडर और गांव स्तर के कमांडर जैसे पद बनाए जा रहे हैं, ताकि पूर्वांचल और राज्य के पूर्वी हिस्से में एक मजबूत संगठनात्मक नेटवर्क बनाया जा सके। देखने वाली बात है कि यह भविष्य में हिंदुत्व वाली आरएसएस के लिए चुनौती तो नहीं बनेगा?
राष्ट्रीय सुहेलदेव सेना का महत्व यह बताया गया है कि यह संगठन युवाओं को अपनी विचारधारा की शिक्षा देगा और उन्हें अपने पैरों पर खड़ा होने में भी मदद करेगा। यह संगठन ईबीसी समुदाय को संगठित करने में भी मदद करेगा, जो उत्तर प्रदेश की आबादी का लगभग 25 प्रतिशत है।
मीडिया से बातचीत में ओपी राजभर ने कहा, आज कई गांवों में लगभग 60 से 70 प्रतिशत छात्रों को यह नहीं पता कि उन्हें आगे क्या बनना है। अपने राष्ट्रीय सुहेलदेव सेना संगठन के जरिए हम उन्हें अलग-अलग क्षेत्रों के सेवानिवृत्त लोगों से जोड़ेंगे, ताकि उन्हें अलग-अलग काम की समझ मिल सके। राष्ट्रीय सुहेलदेव सेना के स्वयंसेवकों को पोशाक, बैज और एक लाठी दी जा रही है, ताकि वे प्रशिक्षित नजर आएं।
बता दें कि ओपी राजभर पहली बार 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा गठबंधन से जुड़े, लेकिन उन्हें चुनाव लड़ने के लिए सीट नहीं मिली। 2017 में वह पहली बार विधायक बने और बलिया की ज़हूराबाद सीट जीती। बीजेपी-नेतृत्व वाले एनडीए का हिस्सा रहते हुए, उनकी पार्टी ने उन चुनावों में आठ में से चार सीटें जीतीं। राजभर योगी सरकार के प हले कार्यकाल में सामाजिक कल्याण मंत्री बने। हालांकि, 2019 लोकसभा चुनाव के बाद उन्होंने कैबिनेट छोड़ दी। बाद में, अक्टूबर 2021 में वह समाजवादी पार्टी के साथ जुड़ गए। 2022 यूपी विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने 2017 से बेहतर प्रदर्शन किया और दो गाज़ीपुर में और एक-एक बलिया, मऊ, जौनपुर और बस्ती में सीटें जीतीं। ओपी राजभर 2024 में फिर से एनडीए में लौट आए और मंत्री बने। अभी हाल ही में वो स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों को लेकर अस्पताल में थे। लेकिन स्वस्थ होने का बाद वो नई आरएसएस के ढांचे को मजबूत करने में लग गए हैं।










