लखनऊ : बढी रार,वीसी में न जाने वाले 87 अधि. अभियंताओं को बिजली विभाग ने थमाई चार्जशीट

  • उपभोक्ता परिषद व कर्मचारी संयुक्त समिति ने कहा गलत फैसला
  • किसान संगठन भी बिजली कर्मचारियों के आंदोलन में हुए शामिल

लखनऊ। बिजली विभाग ने अपने ही कर्मचारियों को जोर का बिजली का झटका देते हुए वीडियो कान्फ्रेसिंग में शामिल न होने वाले 87 अधिशाषी अभियंताओं को अनुशासनहीनता मानते हुए चार्जशीट थमा दी है। बिजली विभाग की इस बड़ी कार्यवाई से कर्मचारियों में उबाल आ गया है तो वहीं बिजली कर्मचारी संगठनों ने इसके बाद भी न झुकने का साफ संकेत बिजली प्रबंधन को दे दिया है।
गौरतलब है कि बिजली विभाग प्रबंधन ने बिजली की व्यवस्थाओं को लेकर वीडियो कान्फ्रेंसिंग का आयोजन किया था।

बिजली कर्मचारियों ने आंदोलन के चलते इस वीसी में शामिल नहीं हुए। इस असहयोग के कारण चेयरमैन आशीष गोयल ने इसे अनुशासन हीनता मानते हुए सभी अधिकारियों को कार्यवाही करते हुए तीन दिन में अवगत कराने का पत्र भेजा था। इसी के चलते सभी अधिकारियों ने अभियंताओं को चार्जशीट थमा दी है। इस चार्जशीट के चलते अभियंताओं में उबाल आ गया है। बिजली विभाग की इस कार्यवाई को लेकर उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा कि यह कार्यवाई पूरी तरह से गलत है।

कर्मचारियों को विरोध जताने का लोकतांत्रिक अधिकार हैं। इसे कोई छीन नहीं सकता है। आंदोलनरत बिजली कर्मचारी संगठनों ने भी इस कार्यवाही का कड़ा विरोध किया है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने इस कार्यवाई को लेकर बताया कि जब बिजली कर्मचारी और अभियंता शांतिपूर्वक आंदोलन के साथ भीषण गर्मी में उपभोक्ता सेवाओं को प्राथमिकता पर अटेंड कर रहे है तब पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन अनावश्यक तौर पर वीसी के नाम पर 87 अभियंताओं पर उत्पीड़नात्मक कार्यवाही करने में लगा है जिससे ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशांति का वातावरण बन गया है।

उपभोक्ता सेवाओं की दृष्टि से ही संघर्ष समिति ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का बहिष्कार करने का निर्णय लिया था जो पावर कार्पोरेशन प्रबंधन को सूचित कर दिया गया था। इसके बावजूद पावर कार्पोरेशन प्रबंधन ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के नाम पर 87 अभियंताओं को चार्ज शीट दी है और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक ने कई अभियंताओं को दंडित करने की दृष्टि से उनका स्थानांतरण कर दिया है। इसके साथ ही बिजली के निजीकरण के विरोध में प्रदेश के 22 किसान संगठनों ने साझा मंच बना कर समस्त जनपदों में जिलाधिकारी कार्यालयों और छोटे स्थान पर उप जिला अधिकारी कार्यालयों पर प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया।

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