
- ऊर्जा मंत्री के दावों को तथ्यों से परे होने का आरोप
लखनऊ। निजीकरण के मुद्दे पर चेयरमैन आशीष गेायल के बाद अब कर्मचारी संगठनों के निशाने पर ऊर्जा मंत्री आ गये है। निजीकरण की लड़ाई को लेकर कर्मचारी संगठन जहां आर-पार की लड़ाई पर आमादा हैं तो अब चेयरमैन के बाद मैदान में उतरे ऊर्जा मंत्री को भी कर्मचारी संगठनों की खरी-खरी सुनने को मिल रही है। कर्मचारी संगठनों ने बुधवार को ऊर्जा मंत्री के दावों को हवा में उड़ाते हुए तथ्यों से परे होने का आरोप लगाया।
निजीकरण के इस खेल में बिजली प्रबंधन जहां कर्मचारी संगठनों में फूट डालकर उनको अपने पाले में लाने और प्राथमिकी व बर्खास्तगी समेत कई हथकंडे अपना रहा है वहीं कर्मचारी संगठन भी शह मात के खेल में सरकारी तौर तरीकों से बचने का पूरा प्रयास कर रहे हैं साथ ही अपने आंदोलन को गति भी देने में लगे हैं।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश ने वाराणसी में ऊर्जा मंत्री द्वारा निजीकरण के बाद आगरा और ग्रेटर नोएडा में बहुत सुधार हो जाने के दावे को तथ्यों से परे बताते हुए कहा है कि ग्रेटर नोएडा और आगरा में निजीकरण से पावर कारपोरेशन को प्रति वर्ष अरबों रुपए का घाटा हो रहा है और सुधार की बात पूरी तरह गलत है।
उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण के विरोध में 29 मई को देश व्यापी विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे। 29 मई से बिजली कर्मचारियों का प्रबंधन से पूर्ण असहयोग आंदोलन प्रारंभ हो रहा है। आगरा में निजीकरण से प्रतिवर्ष लगभग 1000 करोड रुपए का पावर कारपोरेशन को घाटा उठाना पड़ रहा है। ग्रेटर नोएडा में भी निजी कंपनी किसानों को मुफ्त बिजली नहीं दे रही है जबकि उत्तर प्रदेश सरकार की किसानों को मुक्त बिजली देने की नीति है।
ग्रेटर नोएडा में यदि बिजली व्यवस्था इतनी अच्छी चल रही है तो उत्तर प्रदेश सरकार ग्रेटर नोएडा की निजी कंपनी का लाइसेंस निरस्त कराने के लिए माननीय सर्वोच्च न्यायालय में मुकदमा क्यों लड़ रही है । पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के लिए नियुक्त किए गए ट्रांजैक्शन कंसलटेंट ग्रांट थॉर्टन पर झूठा शपथ पत्र देने और अमेरिका में पेनल्टी के मामले पर ऊर्जा मंत्री कोई बयान क्यों नहीं दे रहे हैं।
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