
- सदन में गूंजे नारे- “तानाशाही नहीं चलेगी”, अधिकारी बैठक छोड़ भागे
Lucknow : नगर निगम लखनऊ की मंगलवार को हुई सदन की बैठक इस बार फिर हंगामे की भेंट चढ़ गई। भाजपा पार्षद मुकेश सिंह मोंटी द्वारा मेयर सुषमा खरकवाल पर लगाए गए गंभीर आरोपों के बाद सदन का माहौल गरमा गया। आरोपों से भड़की मेयर ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा, “बदतमीजी बर्दाश्त नहीं की जाएगी, तमीज से बोलिए।” इसके बाद सदन में शोर-शराबा शुरू हो गया और हंगामा इस कदर बढ़ा कि अधिकारी बैठक बीच में ही छोड़कर बाहर चले गए।
मेयर पर गंभीर आरोप, मोंटी बोले- “जनता का नहीं, अपना काम कर रहीं महापौर”
बीजेपी पार्षद मुकेश सिंह मोंटी ने मेयर पर आरोप लगाते हुए कहा कि वो जनता की सेवा नहीं, बल्कि अपने निजी हितों के लिए काम कर रही हैं। मोंटी ने यह भी ऐलान किया कि वह अब भाजपा के साथ नहीं रहेंगे। बता दें कि इससे पहले भी 4 नवंबर की बैठक में वे सपा और कांग्रेस पार्षदों के साथ जाकर बैठे थे।

स्ट्रीट लाइट टेंडर में घोटाले का आरोप
मोंटी ने आरोप लगाया कि नगर निगम के मार्ग प्रकाश विभाग में स्ट्रीट लाइट मेंटिनेंस को लेकर कराए गए टेंडर में भारी गड़बड़ी हुई है। पहले टेंडर में 23 शर्तें थीं जिन्हें घटाकर 18 कर दिया गया। दोबारा टेंडर मंगाने पर केवल एक ही ठेकेदार ने हिस्सा लिया और हैरानी की बात यह रही कि अधिकारियों ने वही टेंडर पास भी कर दिया। मोंटी का सीधा आरोप है कि यह टेंडर मेयर के इशारे पर दिया गया है।
कांग्रेस और बीजेपी के कई पार्षदों का मिला समर्थन
कांग्रेस पार्षद मुकेश सिंह चौहान समेत कई भाजपा पार्षदों ने मोंटी के आरोपों का समर्थन करते हुए कहा कि सिंगल टेंडर नियमों के खिलाफ है और इसे तुरंत निरस्त किया जाना चाहिए। पार्षदों ने नगर आयुक्त पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि उन्हें सब पता है, फिर भी चुप्पी साधे बैठे हैं।
पार्कों के रखरखाव पर भी बवाल, वार्डवार टेंडर की मांग
सदन की बैठक में पार्कों के रखरखाव का मुद्दा भी गरमा गया। भाजपा, सपा और कांग्रेस के पार्षद एकजुट होकर अधिकारियों के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। आरोप था कि नगर निगम पूरे शहर की पार्कों का रखरखाव एक ही ठेकेदार को देने की साजिश कर रहा है।
भाजपा पार्षद प्रमोद सिंह राजन ने बताया कि जिस ठेकेदार को काम देने की तैयारी है, उसकी आठ फर्जी कंपनियां पहले से निगम में अलग-अलग नामों से काम कर रही हैं। पार्षदों ने मांग की कि जोनवार नहीं, वार्डवार टेंडर निकाले जाएं ताकि पारदर्शिता बनी रहे।
“सदन को कोई अधिकार नहीं”—अपर नगर आयुक्त का बयान बना आग में घी
हंगामा उस समय और भड़क उठा जब अपर नगर आयुक्त ने खड़े होकर कह दिया कि इस विषय पर निर्णय लेने का अधिकार सदन को नहीं है। इस बयान को सुनते ही पार्षद बिफर पड़े और पूरे सदन में नारेबाजी होने लगी—
“आवाज़ दो हम एक हैं”, “तानाशाही नहीं चलेगी”।
स्थिति बिगड़ती देख अधिकारियों को बैठक छोड़नी पड़ी।