लखनऊ : गोमती नदी का घैला पुल और हाथी डुबाऊ कुण्ड बना मौत का कुआं

रिपोर्ट- सत्येंद्र शर्मा

लखनऊ। गोमती नदी के किनारे मौजूद घैला पुल और आसपास के क्षेत्र हजारों लोगों के लिए मौत का पर्याय बन चुके हैं। सालों से यहां नहाने और मूर्ति विसर्जन के दौरान अनियंत्रित जल प्रवाह और खतरनाक स्थलों के कारण सैकड़ों लोग अपनी जान गवां चुके हैं। दैनिक भास्कर की ग्राउंड रिपोर्ट के अनुसार, हर साल सैकड़ों की संख्या में लोग इन स्थानों पर नहाने और मूर्ति विसर्जन के लिए आते हैं।

मामले की जानकारी देने वाले गोताखोर रामआसरे मिश्र जो कि स्थाई रूप से गोंडा जिले के रहने वाले हैं लेकिन परिवार बचपन से राजदानी में रह रहा है। राम आसरे बताते हैं कि अब तक वह 50-60 लोगों को अपनी आंखों के सामने पानी में डूबने वाले लोगों को बचा चुके हैं, कुछ लोग परिवार में लड़ाई झगड़ों के बाद नाराज होकर गोमती नदी स्थित घैला पुल के पास खुदकुशी करने आते हैं।

राम आसरे ने आगे बताया, “कुछ लोग गर्मी के मौसम नहाने और मूर्ति विसर्जन जैसे कार्यक्रमों में शामिल होते हैं, वो अचानकर गहरे पानी के अंदर चले जाते हैं। गोमती नदी के किनारे से थोड़े अंदर ही नदी करीब 40 फीट गहरी है जिसमें आदमी तो क्या हाथी भी डूब सकता है। हालांकि, एतिहातन पुलिस यहां पर महोतसव और कार्यक्रमों के दौरान कड़ा पहरा रखती है। बावजूद इसके अब तक इसके गहरे पानी में हजारों लोगों की जिंदगी काल के गाल में समा चुकी है।”

आगरा से राजेंद्र गर्मी के कारण रास्ते में रुक कर नदी में नहा रहा था। उससे बातचीत की गई तो उसने बताया, “मैं तैरना नहीं जानता हूं लेकिन यहां कि होने वाली अप्रिय घटनाओं के बारे में जानता हूं, इसलिए मैं गोमती नदी के किनारे नहा रहा था।”

मूर्ति विसर्जन के दौरान पुलिस का कड़ा पहरा

प्रशासनिक तौर पर ऐसी घटनाओं और अनहोनियों के दोहराओं से निपटने के लिए कोई स्थाई समाधान नहीं किया गया है।

मूर्ति विसर्जन के मौके पर पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था का इंतजाम किया है। विशेष तौर पर पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर मौजूद रहते हैं, ताकि किसी अप्रिय घटना से बचा जा सके। बावजूद इसके, हादसे रुक नहीं रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि उचित चेतावनी और सुरक्षा उपाय किए जाएं तो दुर्घटनाओं में कमी आ सकती है।

लखनऊ प्रशासन का कहना है कि वे इन खतरनाक स्थलों पर चेतावनी बोर्ड लगवाने और सुरक्षा दीवार बनाने का प्रयास कर रहे हैं। साथ ही, जनता को भी जागरूक करने के लिए अभियानों का आयोजन किया जाएगा। लेकिन अभी भी इन स्थलों पर हादसों का सिलसिला जारी है, जो कि शासन की घोर लापरवाही को दर्शाता है।

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