
झूठी शिकायतों को रोकने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल्स की मदद ली जाए
लखनऊ। विशेष एससी एसटी कोर्ट ने गैंगरेप का झूठा मुकदमा दर्ज कराकर दो निर्दोषों को जेल भिजवाने वाली महिला को लखनऊ की विशेष एससी/एसटी कोर्ट ने 7 साल 6 माह की सजा सुनाई है। दोषी महिला पर 2 लाख 1 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि जुर्माने की रकम जेल में गलत तरीके से बंद किए गए राजेश और बीके उर्फ भूपेन्द्र को मुआवजे के तौर पर दिया जाए। कोर्ट ने साफ कहा कि केवल मुकदमा दर्ज होने के आधार पर महिलाओं को कोई भी राहत राशि न दी जाए, बल्कि आरोप पत्र दाखिल होने के बाद ही सहायता राशि दी जाए। कोर्ट ने यह भी सुझाव दिया कि झूठी शिकायतों को रोकने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल्स की मदद ली जाए, ताकि बार-बार फर्जी केस दर्ज करने वालों को चिह्नित किया जा सके।
दोनों को 52,500-52,500 रुपए दिए जाएं। मामला लखनऊ के बीकेटी थाने का है। बीकेटी थाने में 4 अक्टूबर 2022 को रेखा देवी ने राजेश और बीके उर्फ भूपेन्द्र के खिलाफ गैंगरेप की मुकदमा दर्ज कराया था। जांच में पता चला कि रेखा देवी का आरोप फर्जी है। रेखा देवी ने गलत इरादे से केस दर्ज कराया था।
जांच के बाद विवेचक ने धारा 169 सीआरपीसी के तहत रिपोर्ट लगाकर दोनों निर्दोषों राजेश और बीके उर्फ भूपेन्द्र को जेल से रिहा कराया। फैसले में विशेष न्यायाधीश विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने यूपी सरकार और पुलिस को निर्देशित किया कि भविष्य में जब कोई महिला बार-बार रेप या एससी/एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराती है, तो उसकी पूर्व की शिकायतों का पूरा ब्योरा रिकॉर्ड में दर्ज किया जाए।