
- वकीलों और तथाकथित पत्रकारों की आड़ में करोड़ों की वसूली
- बाजार खाला थाने में दर्ज हुई संगीन धाराओं में एफआईआर
भास्कर ब्यूरो
लखनऊ। राजधानी में अवैध वसूली का एक संगठित और सुनियोजित गिरोह बेनकाब हुआ है, जो खुद को पत्रकार और वकील बताकर भोले-भाले निर्माणकर्ताओं को झांसे में लेकर मोटी रकम ऐंठ रहा था। एलडीए (LDA) की कार्रवाई का डर दिखाकर दबाव बनाना और ऑनलाइन माध्यम से वसूली करना इस गिरोह का तरीका था। अब इस पूरे प्रकरण में बाजार खाला थाना पुलिस ने 16 नामजद और 10 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
एफआईआर संख्या 0262/2025, दिनांक 10 जून 2025, में जिन धाराओं में मामला दर्ज हुआ है, वो अपने आप में इस गिरोह की गंभीरता और साजिश की गवाही देते हैं। इन धाराओं में भारतीय दंड संहिता की धारा 419 (छल), 420 (धोखाधड़ी), 386 (जबरन वसूली), 504 (अपमान), 506 (धमकी), 467/468/471 (जालसाजी), और 120B (आपराधिक साजिश) शामिल हैं।
कैसे रचते थे जाल?
शिकायत के मुताबिक, यह गिरोह निर्माणाधीन भवनों की टोह लेकर उनके मालिकों को निशाना बनाता था। खुद को किसी बड़े अखबार या न्यूज़ पोर्टल का पत्रकार या हाईकोर्ट का वकील बताकर संबंधित निर्माण कार्य को अवैध बताया जाता। इसके बाद एलडीए की सख्त कार्रवाई और सीलिंग की धमकी दी जाती।
डर के साये में आए बिल्डर और प्रॉपर्टी डीलर जब रिश्ता बनाकर काम निकालने की बात करते, तो गिरोह लाखों रुपये की डिमांड करता। रकम की अदायगी कभी नकद, तो कभी ऑनलाइन पेमेंट ऐप्स के जरिए की जाती थी।
साइबर ट्रेस और एलडीए से समन्वय
पुलिस अब इस पूरे गिरोह की गतिविधियों की तह तक जाने के लिए साइबर सेल, बैंक ट्रांजैक्शन, और सीसीटीवी फुटेज की मदद ले रही है। जिन ऑनलाइन भुगतानों का जिक्र एफआईआर में किया गया है, उनकी ट्रेसिंग शुरू कर दी गई है।
एलडीए (लखनऊ विकास प्राधिकरण) ने भी साफ किया है कि किसी भी निर्माण पर कार्रवाई की सूचना केवल अधिकृत माध्यमों से ही दी जाती है। कोई बाहरी व्यक्ति, चाहे वह वकील हो या पत्रकार, एलडीए के नाम पर नोटिस या चेतावनी नहीं दे सकता।
गिरफ्तारी और जांच में तेजी
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, इस पूरे गिरोह में शामिल कुछ लोग ऐसे भी हैं जो पहले से ही विभिन्न मामलों में संदिग्ध रहे हैं। पुलिस अब जल्द ही नामजद अभियुक्तों को हिरासत में लेने की तैयारी कर रही है। इसके साथ ही यह भी जांच की जा रही है कि क्या एलडीए से जुड़े किसी कर्मचारी की मिलीभगत भी इस गिरोह में थी या नहीं