
लखनऊ : लखनऊ में एलडीए (लखनऊ विकास प्राधिकरण) की योजनाओं के चलते हजारों किसानों की ज़िंदगी पिछले 18 सालों से ठहर सी गई है। किसानों की ज़मीन तो अधिग्रहित कर ली गई, लेकिन ना तो मुआवज़ा मिला, ना जमीन का अधिकार। इस वजह से किसान आज भी न लोन ले सकते हैं, न ज़मीन बेच सकते हैं, और न ही अपनी सामाजिक ज़िम्मेदारियां निभा पा रहे हैं।
18 साल से ज़मीन अधिग्रहण का मामला लटका
LDA की प्रबंध नगर योजना के अंतर्गत डज़नों गांवों की जमीन अधिग्रहित की गई थी, लेकिन वित्तीय मुआवज़ा या वैकल्पिक जमीन आज तक किसानों को नहीं दी गई। नतीजतन:
- किसान अपनी ही जमीन से बेदखल हैं
- ज़मीन का ना मालिकाना हक है, न बैंक से लोन मिल रहा
- रजिस्ट्री और विक्रय पर भी रोक लगी हुई है
इन 18 वर्षों में कई किसानों के बच्चों की पढ़ाई अधूरी रह गई, शादियों के सपने टूट गए और माता-पिता के इलाज तक के लिए पैसे नहीं हैं। बैंक भी ज़मीन पर स्वामित्व न होने के कारण लोन देने से इनकार कर देते हैं।
किसानों का कहना है कि बार-बार प्रशासन से गुहार लगाने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं हुई। उनका सवाल साफ है: “जब सरकार हमारी ज़मीन ले चुकी है, तो मुआवज़ा और अधिकार कब मिलेंगे?”
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