Lucknow : इको-फ्रेंडली सुविधाओं से बदल रही यूपी के जंगलों की तस्वीर, तीन वर्षों में 161 करोड़ रुपए खर्च

  • वन विभाग, सिंचाई सहित अन्य विभागों से समन्वय कर विकसित की जा रही पर्यटन सुविधाएं: जयवीर सिंह

Lucknow : उत्तर प्रदेश में वन्य जीव संरक्षण और इको टूरिज्म की तस्वीर तेजी से बदल रही है। दुर्लभ वन्य जीव प्रजातियों के सुरक्षित आवास, प्राकृतिक परिदृश्य का संरक्षण और पर्यावरण अनुकूल पर्यटन सुविधाओं के विस्तार ने राज्य को प्रकृति प्रेमियों का नया पसंदीदा गंतव्य बना दिया है। उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि वन, सिंचाई सहित अन्य विभागों से समन्वय कर पर्यटकों के लिए आकर्षक सुविधाएं विकसित की जा रही हैं।

हमारा प्रयास वन्य जीव संरक्षण को सुदृढ़ करते हुए स्थानीय समुदाय को आजीविका के नए अवसरों से जोड़ना है।
मंत्री ने बताया कि उत्तर प्रदेश में गैंडा, बाघ, बारहसिंघा, घड़ियाल जैसे दुर्लभ वन्यजीव न सिर्फ सुरक्षित हैं, बल्कि उनके लिए वातावरण भी विकसित किया गया है। दुधवा, पीलीभीत, कतर्नियाघाट, अमानगढ़ और सोहगीबरवा जैसे वन क्षेत्र पर्यटकों को विशेष अनुभव प्रदान करते हैं। तराई, ब्रजभूमि, गंगा नदी का क्षेत्र, बुंदेलखंड और विंध्य वनक्षेत्र हर इलाके में जैव विविधता के संरक्षण और सतत पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार द्वारा निरंतर कार्य किया गया है।

इको-टूरिज्म विकास बोर्ड ने पिछले तीन वर्षों में 161 करोड़ रुपए से अधिक की राशि खर्च कर विभिन्न प्राकृतिक स्थलों पर पर्यटन सुविधाएं विकसित की हैं। इनमें मार्ग सुधार, कैफेटेरिया, इको-फ्रेंडली विश्राम स्थलों, गजिबो, नेचर ट्रेल, बर्ड वॉचिंग स्थान और बच्चों के लिए खेलने के क्षेत्र जैसी सुविधाएं शामिल हैं। इन सभी का विकास पर्यावरण-संवेदनशील तरीके से किया गया है, ताकि प्राकृतिक संतुलन बनाए रखते हुए पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सके।

पिछले तीन वर्षों में स्वीकृत परियोजनाओं में वर्ष 2022-23 में 21.04 करोड़ रुपए, वर्ष 2023-24 में 68.56 करोड़ रुपए तथा वर्ष 2024-25 में 72.30 करोड़ रुपए व्यय हेतु स्वीकृत किए गए। यह निरंतर बढ़ता निवेश राज्य की प्राथमिकताओं को स्पष्ट करता है।
वहीं, वन विभाग के सतत प्रयासों से वन्य जीवों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि देखने को मिली है, जिसने पर्यटकों को खासा आकर्षित किया है। वर्ष 2022 की वन्य पशु गणना रिपोर्ट वन्यजीव संरक्षण की सफल कोशिशों की पुष्टि करती है। आंकड़ों के अनुसार, दुधवा नेशनल पार्क में 65 हजार से अधिक, कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य में तकरीबन 12 हजार और बफर जोन में 14 हजार से अधिक वन्य प्राणी दर्ज किए गए।

इसी तरह, साल 2025 में उत्तर प्रदेश के संरक्षित क्षेत्रों में वन्य जीवों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की गई है। नवीनतम सर्वेक्षण के अनुसार दुधवा टाइगर रिजर्व में वन्य जीव संख्या बढ़कर 1.13 लाख से अधिक, कतर्निया वन्य जीव प्रभाग में 17 हजार से अधिक और बफर जोन में करीब 15 से अधिक तक पहुंच गई। यह जैव-विविधता संरक्षण प्रयासों की दृष्टि से महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है। वर्ष 2022 में दुधवा, कतर्निया और बफर जोन में गुलदार/तेंदुआ की संख्या 92 थी, जो 2025 में अभूतपूर्व रूप से बढ़कर 275 हो गई। वहीं, गैंडों की संख्या जहां पूर्व में 49 थी, वह 2025 में बढ़कर 66 हो गई है। वन्य जीवों की बढ़ती संख्या प्रदेश में संरक्षण प्रयासों के सकारात्मक परिणामों को दर्शाती है।

पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि इको टूरिज्म को गुणवत्तापूर्ण और समृद्ध अनुभव बनाने के लिए दुधवा, पीलीभीत और कतर्नियाघाट क्षेत्रों में नेचर गाइड्स को प्रशिक्षण दिया गया है। थारू जनजाति को पर्यटन से जोड़ने की दिशा में महत्वपूर्ण पहलें की गई हैं। उनके पारंपरिक खानपान और संस्कृति को सैलानियों तक पहुंचाने की योजनाएं लागू हैं। साथ ही, स्थानीय निवासियों को होम स्टे विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिससे ग्रामीणों की आय बढ़े और पर्यटकों को स्थानीय जीवनशैली का वास्तविक अनुभव मिल सके।

उत्तर प्रदेश सरकार का प्रयास है कि वन्यजीव संरक्षण और इको-टूरिज्म एक-दूसरे के पूरक बनकर राज्य के समग्र विकास में योगदान दें। प्राकृतिक धरोहरों को सुरक्षित रखकर, स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाकर और पर्यटकों को विश्वस्तरीय सुविधाएं देकर उत्तर प्रदेश आने वाले वर्षों में देश का प्रमुख इको-टूरिज्म हब बनने की दिशा में अग्रसर है।

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