
लखनऊ। डॉ. गुणवंतराय गणपतलाल पारिख का मानना रहा है कि देश और दुनिया के सामने जो भी समस्याओं का समाधान एकमात्र महात्मा गांधीजी के दिखाए गए रास्ते पर चल कर ही निकाला जा सकता है। बंबई में जब 1942 में गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन की घोषणा की थी तब वहां जीजी पारिख भी मौजूद थे। 101 वर्ष की आयु पूर्ण करके वे अपनों से विदा हुए। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं समाजवादी चिंतक जीजी पारिख के निधन पर दुःख जताते हुए उनके संघर्ष और समाजवादी आंदोलन में उनकी भूमिका को याद किया।
डॉ. जीजी पारिख 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल थे। 16 वर्ष की उम्र में वे जेल गए। तब जेल जाना गर्व की बात थी। आंदोलन के दौरान 10 माह की जेल काटी। उनके प्रयासों से 1946 से प्रकाशित ‘जनता वीकली‘ आज भी प्रकाशित हो रही हैं। उन्होंने 65 वर्ष पहले यूसुफ मेहर अली सेन्टर की स्थापना की थी। देश में बढ़ रही साम्प्रदायिकता, मुस्लिम, दलित, महिलाओं के प्रति अन्याय के विरूद्ध वे आजीवन सक्रिय भूमिका निभाते रहे। उनका सामाजिक कार्यों के प्रति समर्पण कभी डगमगाया नहीं। उन्होंने अपने सार्वजनिक जीवन की शुरूआत छात्र कार्यकर्ता के रूप में की थी। उन्होंने 1940 के दौरान सौराष्ट्र और मुंबई में विभिन्न स्वतंत्रता आंदोलनों में सक्रिय रूप से भाग लिया था। उन्होंने छात्र कांग्रेस के मुंबई इकाई के अध्यक्ष के रूप में भी अपनी सेवा दी थी। सामाजिक सद्भाव और नफरत से मुक्ति को समाजवादी विचार से जोड़कर उन्होंने नई पीढ़ी को नया संदेश दिया था। श्रद्धेय जीजी पारिख के निधन से समाजवादी आंदोलन को गहरी और अपूर्णीय क्षति हुई है।