
लखनऊ : साइबर थाने के लिए निर्धारित 5 लाख रुपये की सीमा समाप्त कर दी गई है तथा अब थानों पर हर प्रकार के ऑनलाइन वित्तीय अपराध पंजीकृत किए जा सकेंगे। प्रदेश में साइबर वित्तीय धोखाधड़ी के पीड़ितों की शिकायतों की सुनवाई के लिए कुल 50 कॉलर हर समय उपलब्ध होंगे। यहां पर दर्ज हुई शिकायतें साइबर क्राइम मुख्यालय, जनपदीय, कमिश्नरेट साइबर सेल व संबंधित थाने पर प्रदर्शित होने लगेंगी। साइबर क्राइम नवीन कॉल सेंटर का उद्घाटन डीजीपी राजीव कृष्ण ने कल्ली पश्चिम में किया।
उत्तर प्रदेश में 20 सीटों का साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 का कॉल सेंटर यूपी-112 मुख्यालय में है, परंतु बढ़ती साइबर शिकायतों को देखते हुए 30 सीटों का उच्च स्तरीय नवीन कॉल सेंटर कल्ली पश्चिम में स्थापित किया गया है। इस कॉल सेंटर में सातों दिन, चौबीस घंटे वित्तीय साइबर अपराध के पीड़ितों की ऑनलाइन शिकायत दर्ज की जाएगी। शिकायतों के लिए आरक्षी से निरीक्षक तक के 94 पुलिसकर्मी नियुक्त किए गए हैं। इसी कॉल सेंटर में बैंकों से सहयोग प्राप्त कर एक ही छत के नीचे पुलिस, बैंक व टेलीकॉम के कर्मी एक साथ उपलब्ध रहेंगे, जिससे पीड़ित को तत्काल सहायता मिल सकेगी।
प्रत्येक जोनल मुख्यालय पर एक प्रशिक्षित अधिकारी “साइबर कमांडो” की नियुक्ति की जा रही है, जो जोन के समस्त जिलों व कमिश्नरेट के विवेचकों को जटिल साइबर अपराधों की जांच में सहायता उपलब्ध कराएंगे। शासन से पत्राचार कर यह प्रयास किया जा रहा है कि आईटी एक्ट के प्रावधानों में बदलाव कर साइबर अपराधों की विवेचना के लिए विवेचक का स्तर निरीक्षक से घटाकर उप निरीक्षक तक किया जाए, जिससे एफआईआर पंजीकरण एवं मामलों का शीघ्र निस्तारण किया जा सके।
उच्च न्यायालय इलाहाबाद में वित्तीय साइबर अपराध में फ्रीज धनराशि को शीघ्र, बिना प्रथम सूचना रिपोर्ट के, मात्र पीड़ितों के प्रार्थना पत्र पर उनके पास पहुंचाने के लिए शासन द्वारा प्रेषित प्रस्ताव विचाराधीन है। इसके लागू होने से पीड़ितों को जल्द ही धनराशि मिल सकेगी।
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