
- 12 मई को निजीकरण के विरोध में बिजलीकर्मियों और प्रबंधन के बीच वार्ता
लखनऊ। बातचीत से पहले पावर कारपोरेशन प्रबंधन को निजीकरण के विरोध में चल रहे आंदोलन केे कारण की गयी उत्पीड़नात्मक कार्यवाहियों को वापस लेना चाहिए। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के अर्न्तगत आने वाले 42 जिलों के निजीकरण के एकतरफा फैसले के विरोध में बिजली कर्मचारी पिछले पांच महीने से अधिक समय से आंदोलनरत हैं। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने प्रबंधन से यह मांग की।
उन्होंने बिजली कर्मचारियों और प्रबंधन के बीच वार्ता को लेकर बताया कि चेयरमैन और समिति के बीच 12मई को वार्ता होगी। लोकतांत्रिक ढंग से शांतिपूर्वक आंदोलन करने वाले बिजलीकर्मियों पर पावर कारपोरेशन प्रबन्धन ने इस दौरान कई कार्यवाहियां की है जो कर्मचारियों को परेशान करने वाली है।
निजीकरण से निजी घरानों को फायदा मिल सके इसके लिए 45प्रतिशत संविदा कर्मचारियों को हटा दिया गया है। फेसियल अटेंडेस के नाम पर 2000बिजली कर्मचारियों का वेतन रोक दिया गया है। ऊर्जा मंत्री की घोषणा के बाद भी उत्पीडन की कार्यवाहियां वापस न लेने से अविश्वास का वातावरण बना है।
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