लखनऊ : अखिल भारत हिंदू महासभा ने फल मंडी में प्रदर्शन कर तुर्किये के सेब का किया विरोध

लखनऊ। राजधानी में अखिल भारत हिन्दू महासभा ने तुर्किये से आने वाले फलों का विरोध करते हुए जोरदार प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन सीतापुर रोड स्थित फल मंडी में हुआ, जहां हिन्दू महासभा के कार्यकर्ताओं ने तुर्किये के खिलाफ नारेबाजी की और इस देश के फलों का बहिष्कार करने का आह्वान किया। इस प्रदर्शन का मुख्य उद्देश्य तुर्किये की नीतियों और उसके भारत के प्रति दृष्टिकोण पर सवाल उठाना था। महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शिशिर चतुर्वेदी ने इस मौके पर कहा कि भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच तुर्किये ने पाकिस्तान का समर्थन किया था, इसलिए इस देश के साथ व्यापार नहीं किया जाना चाहिए।

प्रदर्शन के दौरान तुर्किये और अजरबैजान मुर्दाबाद के नारे लगाए गए। शिशिर चतुर्वेदी ने यह भी कहा कि दुश्मन देश का फल नहीं खाएंगे और भारत के व्यापारी भी ऐसे देशों का बहिष्कार करें। उनका तर्क था कि जो देश भारत के खिलाफ खड़ा हैं, उनका आर्थिक और व्यापारिक संबंध तोड़ना जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि तुर्किये जैसे देश, जो पाकिस्तान का समर्थन कर रहे हैं, उन्हें आर्थिक रूप से कमजोर करना चाहिए ताकि वे अपनी नीतियों में बदलाव लाने को मजबूर हो सकें।

शिशिर ने यह भी उल्लेख किया कि भारत ने तुर्किये के बुरे समय में मदद की थी। उन्होंने कहा कि जब तुर्किये में भूकंप आया था, उस वक्त भारत ने राहत सामग्री और जवान भेजकर उसकी मदद की। इसके बावजूद, तुर्किये ने भारत का समर्थन नहीं किया और पाकिस्तान के साथ खड़ा रहा। इस तरह की गद्दारी को देखते हुए, हिन्दू महासभा का मानना है कि तुर्किये जैसे देशों को सबक सिखाना जरूरी है। इसलिए, भारत को इन देशों के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को पूरी तरह से समाप्त कर देना चाहिए।

शिशिर चतुर्वेदी ने यह भी बताया कि भारत और तुर्किये के बीच व्यापारिक आंकड़ें भी इस बात का प्रमाण हैं। अप्रैल 2024 से फरवरी 2025 के बीच भारत का तुर्किये के साथ निर्यात 5.2 अरब डॉलर रहा, जबकि 2023-24 में यह आंकड़ा 6.65 अरब डॉलर था। वहीं, भारत का तुर्किये से आयात 2.84 अरब डॉलर रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में कम है। यह संकेत करता है कि तुर्किये ने भारत का फायदा उठाकर अपने आर्थिक हितों को बढ़ावा दिया है। इसके विपरीत, भारत का अजरबैजान के साथ व्यापार बहुत ही कम रहा है, जिसमें निर्यात 86.07 मिलियन डॉलर और आयात 1.93 मिलियन डॉलर का रहा।

इन आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि तुर्किये ने भारत का आर्थिक लाभ उठाया है। हिन्दू महासभा का मानना है कि ऐसे देशों से व्यापार बंद कर देना चाहिए ताकि उनके नापाक इरादों को रोका जा सके। उनका यह भी तर्क है कि भारत को अपने राष्ट्रीय हितों और स्वाभिमान की रक्षा करनी चाहिए, और ऐसे देशों के साथ संबंध तोड़ने चाहिए जो भारत के खिलाफ खड़े हैं।

यह प्रदर्शन और विरोधाभास भारत में बढ़ती हुई राष्ट्रीय चेतना का प्रतीक है। हिन्दू महासभा का मानना है कि देश की संप्रभुता और स्वाभिमान को बनाए रखने के लिए जरूरी है कि हम अपने हितों का संरक्षण करें। तुर्किये जैसे देशों के खिलाफ यह आवाज एक तरह का संदेश है कि भारत अपने स्वाभिमान से समझौता नहीं करेगा और अपने हितों की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएगा।

इस विरोध प्रदर्शन का मकसद सिर्फ तुर्किये का विरोध ही नहीं, बल्कि भारत की आर्थिक और राष्ट्रीय मजबूती को भी स्थापित करना है। यह भी संदेश है कि जब देश के हितों पर आंच आए, तो हम पीछे नहीं हटेंगे। हिन्दू महासभा की यह मुहिम देशभक्ति और स्वाभिमान की भावना को मजबूत करने का प्रयास है, ताकि आने वाले समय में देश की सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा हो सके।

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